सुपौल : सदर प्रखंड के हरदी दुर्गास्थान में बने उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदहाल है. इस इलाके की हजारों की आबादी के स्वास्थ्य का जिम्मा इसी उप स्वास्थ्य केंद्र पर है. बावजूद चिकित्सकों व कर्मियों के अभाव के कारण यहां के लोगों को चिकित्सा लाभ लेने के लिए बाहर के अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
ऐतिहासिक धरोहर के रूप में शुमार वीर लोरिक की इस धरती पर मां वन देवी भी विराजती हैं. यही कारण है कि मां वन देवी की अराधना हेतु यहां पर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. कई बार रात्रि विश्राम के दौरान श्रद्धालु की अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण उनके इलाज के लिए परिजनों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. विभागीय उदासीनता के कारण आज भी यह उप स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे चल रहा है.
कहते हैं ग्रामीण
लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जहां मरीज नहीं आते है, वहां अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना कर दी गयी है. यहां मरीजों की काफी भीड़ रहती है, फिर भी यहां उप स्वास्थ्य केंद्र ही है. जगदीश प्रसाद यादव कहते हैं कि हरदी दुर्गास्थान में बने उप स्वास्थ्य केंद्र को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की मांग वर्षों से यहां के लोग उठा रहे हैं.
पर, आज तक सरकार द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है. जितेंद्र कुमार सिंटू ने कहा कि यहां बड़ह संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. रात्रि विश्राम के दौरान श्रद्धालु के बीमार होने पर परेशानी का सामना करना पड़ता है.
प्रशम प्रकाश ने कहा कि जहां एक भी मरीज नहीं आते हैं वहां सरकार द्वारा एपीएचसी स्थापित कर दिया गया है. लेकिन जहां इसकी दरकार है वहां सुविधा ही नहीं दी गयी है. संजय कुमार ने कहा कि यहां रात के समय ज्यादा परेशानी होती है.
कारण, रात में न तो झोला छाप डॉक्टर मिलते हैं और न ही कोई वाहन. अजय कुमार भारती ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा कई बार विधायक से लेकर जिला प्रशासन तक से गुहार लगायी गयी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.
पप्पू चौधरी ने कहा कि यहां उप स्वास्थ्य केंद्र तो है, जो नाम के लिए है. करीब तीन माह से इस स्वास्थ्य केंद्र का ताला भी नहीं खुला है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
झोलाछाप से इलाज कराना बनी मजबूरी
आस-पास के लगभग 10 हजार लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी इसी उप स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है. पर, यहां चिकित्सक तो दूर मात्र एक एएनएम प्रतिनियुक्त हैं.
वे भी यदा कदा ही यहां मौजूद रहती हैं, क्योंकि पंचायत में चलाये जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम में वे ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही रहती है. ऐसे में गंभीर मरीज को यहां से निराश ही लौटना पड़ता है. जबकि इस धरती को शुरु से ही पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने की बात उठ रही है. पर, संसाधन के अभाव में आज भी यहां की चिकित्सीय व्यवस्था पूरी तरह लचर बनी हुई है.