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चरमरायी चिकित्सा व्यवस्था

मंगलवार की मध्यरात्रि से जिले के सरकारी गैरसरकारी चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने से बुधवार को चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. अस्पताल में मरीज तो पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों के नहीं होने की सूचना ने उनकी परेशानी बढ़ा दी. हालांकि गंभीर मरीजों के लिए चिकित्सकों ने आपातकालीन सेवा को चालू रखा है. सुपौल […]

मंगलवार की मध्यरात्रि से जिले के सरकारी गैरसरकारी चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने से बुधवार को चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. अस्पताल में मरीज तो पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों के नहीं होने की सूचना ने उनकी परेशानी बढ़ा दी. हालांकि गंभीर मरीजों के लिए चिकित्सकों ने आपातकालीन सेवा को चालू रखा है.

सुपौल : कोसी प्रमंडल में चिकित्सकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, रंगदारी के लिए धमकी व बिगड़ती कानून व्यवस्था के विरोध में जिले के सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सक मंगलवार की अर्धरात्रि से हड़ताल पर चले गये है. बुधवार को सभी चिकित्सक मांगों के समर्थन में हड़ताल पर डटे रहे. इस दौरान उन्होंने कार्य का बहिष्कार किया़ इसके कारण सदर अस्पताल में ओपीडी का काम-काज ठप रहा़ निजी क्लिनिक भी बंद रहे़ इसे लेकर आम मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
हालांकि चिकित्सकों ने आपातकालीन सेवा जारी रखी, ताकि गंभीर रोगियों को तत्काल चिकित्सा सुविधा दी जा सके. अस्पताल परिसर में जुटे हड़ताली चिकित्सकों ने कहा कि मांगे पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा़
इलाज के लिए भटकते रहे मरीज : अस्पताल का चक्कर लगा रही वार्ड नंबर 16 निवासी शबीना खातून व मो इसलाम ने बताया कि इलाज के लिए अस्पताल आये थे, लेकिन चिकित्सकों के नहीं रहने से निराशा हाथ लगी़ वार्ड नंबर 26 निवासी शहजहान खातून भी चिकित्सकों की खोज में भटकती हुई मिली़ं बताया कि डेढ़ वर्षीय पुत्र शाहिद का इलाज कराने आयी थी़ सरकारी के साथ ही गैर सरकारी चिकित्सकों के हड़ताल की जानकारी मिलने पर चिंता और भी बढ़ गयी है कि अब वे इलाज के लिए जायें तो जायें कहां ? अस्पताल परिसर में सदर प्रखंड अंतर्गत खखैय निवासी सुनीता देवी अपनी गर्भवती बहू का इलाज कराने आयी थी़ं हड़ताल की जानकारी ने उन्हें परेशान कर दी. बताया कि समझ में नहीं आ रहा कि अब वे क्या करें.
सूना रहा ओपीडी कक्ष : चिकित्सकों की हड़ताल के कारण बुधवार को सदर अस्पताल का ओपीडी सूना रहा. यहां इलाज के लिए कोई भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं था. इसकी वजह से इलाज के लिए अस्पताल आये सामान्य मरीजों को काफी कष्ट का सामना करना पड़ा़ जानकारी के अभाव में कई मरीज चिकित्सकों की खोज में इधर-उधर भटकते व कर्मियों से पूछताछ करते देखे गये. आम तौर पर सुबह 08 बजे से प्रारंभ होने वाले ओपीडी के बंद रहने के कारण मरीजों का रजिस्ट्रेशन काउंटर खाली पड़ा था़ यहां कर्मी तो मौजूद थे, लेकिन चिकित्सकों की अनुपस्थिति की वजह से मरीजों को परची कटाने का कोई औचित्य नहीं जान पड़ता था़

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