त्रिवेणीगंज : लगातार लग रहे भूकंप के झटके से ना सिर्फ अनुमंडल क्षेत्र के लोग दहशत में है, बल्कि मुख्यालय स्थित रेफरल अस्पताल के चिकित्सक व कर्मी भी दहशत के साये में जीने को मजबूर है. वजह है रेफरल अस्पताल के भवन की जर्जर स्थिति. जिसके कारण यहां पर कार्यरत कर्मी काफी खौफजदा हैं. सोमवार […]
त्रिवेणीगंज : लगातार लग रहे भूकंप के झटके से ना सिर्फ अनुमंडल क्षेत्र के लोग दहशत में है, बल्कि मुख्यालय स्थित रेफरल अस्पताल के चिकित्सक व कर्मी भी दहशत के साये में जीने को मजबूर है. वजह है रेफरल अस्पताल के भवन की जर्जर स्थिति. जिसके कारण यहां पर कार्यरत कर्मी काफी खौफजदा हैं. सोमवार की अहले सुबह एक फिर आये भूकंप ने इस अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक व कर्मियों को दहशत में डाल दिया है.
ज्ञात हो कि इस अस्पताल के जर्जर भवन में चल रही चिकित्सा व्यवस्था को लेकर यहां के डॉक्टरों द्वारा कई बार विभाग को लिखा गया है. बावजूद इस दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है.
भूकंप के झटके से दहशत में है चिकित्सक व कर्मी : करीब 80 के दशक में बना रेफरल अस्पताल के भवनों की हालत काफी जर्जर हो चुकी है. भवनों के खस्ता हाल की जानकारी विभागीय चिट्ठी बताती है. जो 14 मई 2015 को रेफरल अस्पताल के तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा सीएस सुपौल को लिखा गया था.
जिसमें भवनों की जर्जर हो चुकी स्थिति के बारे में विभाग को अवगत कराया गया था. मालूम हो कि उसके कुछ दिन पूर्व ही 25 व 26 अप्रैल 2015 को उत्तरी बिहार सहित नेपाल के भूभाग में भूकंप के झटके महसूस किये गये थे. जिसके बाद रेफरल अस्पताल की हालत और भी जर्जर हो चुकी थी.
जिसके कारण अस्पताल भवन की छत के चट्टे कभी भी नीचे गिर जाते थे. जिसके कारण अस्पताल में कार्यरत कर्मी व चिकित्सक अस्पताल के अंदर कार्य करने में काफी सशंकित रहते थे और भय के साएं में रह कर कार्य करना उन लोगों की मजबूरी बनी हुई थी. जिसके बाद 12 मई 2015 को आये दोबारा भूकंप के झटके ने अस्पताल के भवनों को और हिला कर रख दिया. लगातार आ रहे भूकंप के झटके से अस्पताल खंडहर में तब्दील हो जाने की शंका बनी रहती है.
सोमवार को एक बार फिर धरती कांपी. जिससे यहां कार्यरत कर्मी व चिकित्सक काफी खौफ जदा हैं. जबकि इस संबंध में कई बार डीएम व बिहार सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है. लेकिन 04 लाख से उपर के आबादी के स्वास्थ्य जिम्मा संभाले इस अस्पताल के जीर्णोंधार की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.