निर्मली : जैन तेरा पंथ संघ के 11 वें आचार्य महाश्रमण जी महाराज व उनके साथ चल रहे सैकड़ों साधु व साध्वियों के कोसी महासेतु पर आगमन होने के साथ ही अनुयायियों व अन्य लोगों ने करवद्ध होकर स्वागत किया. विदित हो कि तेरापंथ धर्म संघ आचार्य दिल्ली से अपनी धवल सेना के साथ्र नौ नवंबर से पदयात्रा पर निकले हैं.
बुधवार को धवल सेना के साथ आचार्य प्रवर मुख्य मार्ग होते हुए निर्मली अनुमंडल मुख्यालय पहुंचे. यहां नवनिर्मित तेरा पंथ भवन में आचार्य श्री महा श्रमण की ज्ञान शाला के नन्हें छात्र व छात्राओं ने हम होंगे ज्ञान वान की प्रस्तुति के साथ आचार्य का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया.घमंड से दूर रहने पर होगी ज्ञान की प्राप्तिआचार्य महाश्रमण जी महाराज ने प्रवचन के दौरान अनुयायियों से आह्वान किया कि अहंकार को मृदुता से दूर करें. कहा कि साधना की दृष्टि से अध्यात्म और व्यवहार से भी अहंकार प्राणियों का शत्रु होता है.
कहा कि घमंड के कारण ही मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है. कितनी बार हमारी आत्मा बैर की गुठली के रूप में पैदा हो गयी होगी. कहा कि जीवन में कितनी बार प्राणियों को तिरस्कार का सहन करना पड़ा होगा. कितनी बार प्राणी स्थावर कार्य के लिए जीव बने होंगे. सौभाग्यशाली वे प्राणी हैं, जिन्होंने मनुष्य का योनि पाया है.
जीव मनुष्य योनि को प्राप्त किया है, तो भूत का भी अनुमान अपने मस्तिष्क से लगाये कि वे भूत में कहां रहे होंगे. साथ ही भविष्य उनका क्या कह रहा है. पूर्व व आगे की बात को छोड़ दें तो वर्तमान मनुष्य के जीवन में भी बड़ा कहलाने वाला आदमी कभी छोटा बन जाता है. जीवन में दूसरों के ऊपर हुकुम जमाने वाले प्राणियों को कभी हुकुम भी सहन करना पड़ता है. कहा कि इन बातों पर विचार कर प्राणी एक धारणा बना लें कि उन्हें जीवन पर्यंत घमंड नहीं करना चाहिए.
प्राणियों को न तो धन का घमंड करना चाहिए और न ही इसके प्रति आसक्ति व मोह का भाव पैदा करना चाहिए. प्राणी अवस्था से नहीं परिगाह से पूज्यआचार्य ने बताया कि प्राणियों को जीवन में कभी भी धन का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. कभी भी उन्हें तपस्या से प्राप्त किये गये ज्ञान पर घमंड का भाव पनपने नहीं देना चाहिए.
ज्ञान प्राप्त करते समय मन में कभी भी ईर्ष्या, द्वेष आदि के भाव को जागृत नहीं करना चाहिए. प्राणी जीवन भर अपने पूज्य का सम्मान करें. प्राणी अवस्था से पूज्य नहीं होता, बल्कि संयम व परिगाह से पूज्य होता है. कहा कि जो छात्र विनय पूर्वक ज्ञान को प्राप्त करता है उसका ज्ञान अधिक फलदायी होता है. बताया कि ज्ञान और बुद्धि दोनों के प्रति सम्मान की भाव रखना चाहिए. बताया कि जो गुरु हैं अथवा शिक्षण का कार्य करते हैं
छात्रों को उनके प्रति आदर, सत्कार व विनय का भाव रखना चाहिए. ताकि वे जीवन भर हमें अहंकार से बचाव का भाव हमारे अंदर पैदा कर सके. प्रवचन के दौरान उमड़ी भीड़आचार्य महा श्रमण जी महाराज के प्रवचन आरंभ होते ही सभा स्थल पर अनुयायी सहित अन्य लोगों की भारी भीड़ देखी गयी. स्थिति ऐसी थी कि सभास्थल पर बनाये गये पंडाल भी कम पड़ रहे थे.
प्रवचन के दौरान आचार्य द्वारा कराये जा रहे नैतिकता के बोध का अक्षरश: उपस्थित श्रद्धालुओं ने श्रवण किया. स्थानीय सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से मुसलमान समुदाय के लोगों ने आचार्य प्रवर से मिल कर मांसाहार को त्याग कर शाकाहारी होने का संकल्प लिया. साधुओं ने भ्रमण कर दिया उपदेशप्रवचन के दौरान साधुओं ने नगर स्थित मसजिद थाना, विद्यालय सहित अन्य स्थानों का भ्रमण कर अहिंसा यात्रा का मुख्य उद्देश्य, नैतिकता, सांप्रदायिकता, सदभावना, नशा मुक्ति सहित अन्य के बारे में बताया. आचार्य महाश्रमण के आगमन पर नगर पंचायत प्रशासन द्वारा साफ सफाई को लेकर विशेष ध्यान रखा गया था.
वहीं अनुमंडल प्रशासन द्वारा सम्पूर्ण नगर में विधि व्यवस्था को व्यवस्थित रखा गया. जनप्रतिनिधि व अन्य ने भी किया स्वागतजैन श्वेतांबर निर्मली तेरा पंथ के अध्यक्ष बाबूलाल जी सुराना ने अभिवादन भाषण दिया. स्थानीय तेरा पंथ युवक परिषद द्वारा आचार्य महाश्रमण जी के आगमन पर भगवान प्रभु वर परमेश्वर उपमान व महिला वर्ग से प्रिया जैन, प्रिया नाहर, ज्योति चोपड़ा, नेहा कुहार, खुशबू जैन, पायल जैन व अन्य ने मिथिलांचल परंपरा के अनुसार आचार्य जी का अभिनंदन किया.
मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह, विधिक संघ अध्यक्ष रामलखन प्रसाद यादव, ब्रह्म कुमारी से मंजु बहन ने भी विचार प्रकट किये. साथ ही आचार्य प्रवर महा श्रमण के सदभावना, नैतिकता व नशा मुक्ति के दिखाए मार्ग पर सभी को चलने की बात कही. वक्ताओं ने कहा कि आचार्य प्रवर का यह संदेश जन-जन तक पहुंचाना है,
ताकि हमारा समाज नशा मुक्त हो सके. मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक सतीश साह, जीवनेश्वर साह, डाॅ रामा शीष सिंह, पुलिस पदाधिकारी संतोष कुमार, थानाध्यक्ष मनोज कुमार,अंचल अधिकारी रविन्द्र कुमार, मुकेश कुमार नाहर, आलोक नाहर, लाल सिंह बोथरा, सुशील कुमार नाहर, अविनाश बोथरा, विकास सुराना, श्रेयांश बेगानी, तरुण कुमार जैन व अन्य स्रोता सहित जैन समाज के अनुयायी उपस्थित थे.