खानाबदोश की जिंदगी गुजार रहे हैं विस्थापितआर्थिक तंगी के कारण विस्थापित छात्राएं शिक्षा से वंचित छात्राओं ने बताया कि, बाढ़ की विनाश लीला में उन लोगों का पुस्तक बहने के साथ ही अरमानों पर भी पानी फिर गया. फोटो – 4कैप्सन – विस्थापित परिवारप्रतिनिधि, सरायगढ़ कोसी के कटाव व बाढ़ से विस्थापित हजारों परिवार की बेटियां शिक्षा का अधिकार पाने से अाज भी वंचित हैं. विस्थापितों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी सहित अन्य सुविधाएं मयस्सर नहीं हो पा रही है. कुछ वर्ष पूर्व कोसी नदी में आयी प्रलयंकारी बाढ़ व कटाव ने सरायगढ़- भपटियाही प्रखंड के करीब 25 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया था. जिस कारण ऐसे गांवों में जीवन यापन कर रहे हजारों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था. विस्थापन के बाद से ही विस्थापित परिवार खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को विवश हैं. सरकार व विभागीय उपेक्षा के शिकार बने ऐसे परिवार पूर्वी कोसी तटबंध के स्पर सहित अन्य स्थानों पर अपना आशियाना बनाये हुए है. लेकिन उसका सुधि लेने वाला कोई नहीं है. दाने – दाने के लिए बना मोहताज बाढ़ से पूर्व ऐसे परिवार जिनकी अपने गांवों में अच्छी खासी गृहस्थी चल रही थी. उन सभी के समक्ष खाने के लाले पड़े हुए है. या यू कहें कि वे सभी दाने-दाने का मोहताज बने हुए हैं. वहीं शिक्षा की सुविधा सभी को मिले इसे लेकर विभाग द्वारा कई विद्यालयों को विस्थापित कर दिया गया. ऐसे विद्यालयों में छात्राओं की उपस्थिति नाम मात्र ही देखी जा रही है. कारण बताया जा रहा है कि विस्थापित परिवारों के पुरुष वर्ग परिवार की गाड़ी चलाने को लेकर अन्य प्रदेश पलायन कर चुके हैं. जिस कारण चूल्हा चौका से लेकर कृषि व मवेशी के कार्य का जिम्मा महिला व छात्राओं द्वारा की जा रही है. जिस कारण बच्चियों का भविष्य चौपट हो रही है. आलम यह है कि विस्थापित सैकड़ों परिवार के बच्चियों में शिक्षा प्राप्त करने की ललक है. लेकिन परिस्थिति वश व आर्थिक तंगी ने उन्हें शिक्षा के कार्य से वंचित कर दिया है. दर्द बयां करती छात्राएंविस्थापित परिवारों की बेटियों का कहना है कि कई छात्राएं प्राथमिक व मध्य विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर चुकी है. साथ ही कुछ का उच्च विद्यालय में भी नामांकन हुआ है. बताया कि बाढ़ की लीला में उन लोगों का पुस्तक के बहने के साथ ही अरमानों पर पानी फिर गया. प्रखंड क्षेत्र के बनैनिया, बलथरबा, ढ़ोली, भुरिया, कटैया, औरही, सनपतहा, लोकहा कोढ़ली,कबियाही, कड़हरी, सियानी, गौड़ीपट्टी, बहुअरबा, डेंगराही, झौहरा, मौरा, कुसहा, रहरिया, थरिया, उग्री पट्टी सहित अन्य गांवों के लोगों ने बताया कि सैकड़ों बेटियां आज भी पढ़ाई करने की उम्मीद पाले हुए हैं. लेकिन माता- पिता की बेबसी के आगे कुछ भी बोलने से परहेज करतीं हैं. नतीजतन विद्यालय नहीं जा पा रही है. स्थानीय पवन कुमार सिंह, दिनेश सरदार, परमेश्वर साह, नेथर राम सहित अन्य ने बताया कि हालात साथ नहीं दे रहा है. विस्थापित होने के बाद गांव का परिदृश्य ही बदल चुका है. परिवारों के समक्ष आर्थिक तंगी के कारण सभी अरमान पानी के साथ ही समाप्त हो गया. कहा कि विभाग व जन प्रतिनिधियों द्वारा ऐसे परिवारों को गोद लेने के बाद ही बच्चों को शिक्षित किया जा सकता है. साथ ही विस्थापितों के आवश्यकता अनुरूप रोजगार पैदा स्थिति को सृदृढ़ किया जा सकता है.
खानाबदोश की जिंदगी गुजार रहे हैं वस्थिापित
खानाबदोश की जिंदगी गुजार रहे हैं विस्थापितआर्थिक तंगी के कारण विस्थापित छात्राएं शिक्षा से वंचित छात्राओं ने बताया कि, बाढ़ की विनाश लीला में उन लोगों का पुस्तक बहने के साथ ही अरमानों पर भी पानी फिर गया. फोटो – 4कैप्सन – विस्थापित परिवारप्रतिनिधि, सरायगढ़ कोसी के कटाव व बाढ़ से विस्थापित हजारों परिवार की […]
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