छातापुर : प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय में चिकित्सीय व्यवस्था बदहाल रहने के कारण पशुपालकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सालय में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का पद वर्षों से रिक्त पड़ा है. जबकि पदस्थापित एक मात्र भ्रमणशील पशु चिकित्सक सुधीर कुमार लगातार गायब ही रहते हैं.
पशु चिकित्सालय को चिकित्सक का दर्शन खासकर 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन ही हो पाता है. ऐसी स्थिति में चिकित्सालय में पदस्थापित आदेशपाल एवं रात्रि प्रहरी पर ही उपचार सहित अन्य योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी रहती है. बताया जाता है कि प्रखंड के बलुआ स्थित पशु चिकित्सालय में चिकित्सक का पद रिक्त रहने के कारण डा कुमार ही वहां के भी प्रभार में हैं. बावजूद इसके उनका लगातार गायब रहना जहां सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है,
वहीं स्थानीय पशुधन पालक सरकारी योजनाओं के लाभ से महरूम हो रहे हैं.सृजित पद के अनुरूप नहीं है कर्मीमुख्यालय व बलुआ सहित प्रखंड क्षेत्र स्थित भीमपुर व चरणे में पशु चिकित्सा केंद्र भी बनाये गए हैं. जहां सभी केंद्र पर एक -एक भ्रमणशील चिकित्सक के अलावे एक एक पशुधन सहायक , आदेशपाल व रात्रि प्रहरी के पद सृजित हैं.
लेकिन इन रिक्त पदों पर पदस्थापन को लेकर विभागीय शिथिलता सरकारी उद्देश्य पर पानी फेर रहा है. वहीं पशुपालन कर आर्थिक रूप से संपन्न होने का सपना पालने वाले पशुपालक विभिन्न समस्याओं से घिरे रहते हैं.
हालांकि सरकार द्वारा आम जनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा देने की गरज से कई योजना संचालित किये जा रहे हैं. लाखों की लागत से पशु चिकित्सालय भवन भी बनाया गया है. ताकि जमीनी स्तर पर पशुपालकों को लाभ मिल सके.
लेकिन चिकित्सक व कर्मियों के समुचित रूप से नियुक्ति नहीं कराये जाने के कारण पशु चिकित्सालय की व्यवस्था बदतर बनी हुई है. कहते हैं कर्मीइस बाबत पूछने पर चिकित्सा का कार्य देख रहे आदेशपाल मणि प्रसाद व रात्रि प्रहरी मो जाहिद इकबाल ने बताया कि चिकित्सालय में मिनरल, कैल्सियम, मल्टी विटामिन तथा डायरिया संबंधित दवा लंबे समय से नहीं है.
उपलब्ध दवा व संसाधन के बदौलत ही चिकित्सीय कार्य को निपटाया जाता है. स्थिति है कि विभागीय उपेक्षा के कारण अब तो पशुपालक भी चिकित्सालय पर ना के बराबर पहुंचते हैं. बताया कि चिकित्सक के नहीं रहने की वजह से पशुओं का समुचित उपचार नहीं हो पा रहा है.