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सुपौल : बगावत की आग से हर कोई परेशान

सुपौल जिले में विधानसभा की पांच सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सभी पर जदयू उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. तब उसकी सहयोगी भाजपा को तालमेल में यहां की कोई सीट नहीं मिली थी.पर इसबार चुनाव मैदान का नजारा बदला हुआ है. पांच में से तीन पर जदयू और दो पर राजद ने […]

सुपौल जिले में विधानसभा की पांच सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सभी पर जदयू उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. तब उसकी सहयोगी भाजपा को तालमेल में यहां की कोई सीट नहीं मिली थी.पर इसबार चुनाव मैदान का नजारा बदला हुआ है. पांच में से तीन पर जदयू और दो पर राजद ने उम्मीदवार उतारे हैं. जबकि राजग में भाजपा को चार और लोजपा को एक सीट मिली है. पर दोनों गंठबंधनों के लिए बागी परेशानी का सबब बन रहे हैं. बसपा व जअपा अपने आधार मतों को एकजुट रखना चाहते हैं. एक रिपोर्ट.

सुपौल कार्यालय

आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर सुपौल जिले का राजनीतिक तापमान परवान चढ़ने लगा है. पांचवें चरण के तहत जिले में पांच नवंबर को मतदान होना है. जिले में कुल पांच विधान सभा क्षेत्र हैं.

जिसमें निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (सुरिक्षत ) एवं छातापुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. बीते विधानसभा चुनाव 2010 में सभी पांच सीटों पर जदयू प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया था. इस बार जदयू व भाजपा के अलग होने से जिले के राजनीतिक समीकरण में भी स्वाभाविक रूप से बदलाव आया है.

भाजपा पहली बार नये गंठबंधन के तहत जिले में चुनाव लड़ रही है. जिले की पांच में से चार सीटों पर भाजपा तथा एक त्रिवेणीगंज सुरिक्षत सीट उसके सहयोगी दल लोजपा के कोटे में गयी है. महागंठबंधन की वजह से जदयू को भी अपनी दो सीटें पिपरा व छातापुर राजद के हिस्से में देनी पड़ी. हालांकि इन दोनों जगहों पर जदयू के लिये और भी कई समस्याएं थी. छातापुर के सीटींग विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू ने जदयू से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया है.

वहीं पिपरा की जदयू विधायक सुजाता देवी के पति पूर्व सांसद विश्वमोहन कुमार के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही जदयू की इस सीट की विश्वसनीयता पर संदेह जाहिर किया जा रहा था. जाहिर तौर पर महा गंठबंधन ने दोनों सीटें राजद के हिस्से में देकर राजनीतिक विकल्प ढूंढ़ लिया है. वहीं त्रिवेणीगंज सीट की सीटींग जदयू विधायक अमला देवी का भी इस बार पार्टी ने टिकट काटा है. इस चुनाव में यहां जदयू ने पूर्व विधायक स्व विश्व मोहन भारती की पत्नी वीणा देवी को प्रत्याशी बनाया है.

टिकट कटने से नाराज अमला देवी जन अधिकार पार्टी से इस बार चुनाव लड़ रही है. जिले के अधिकांश सीटों पर इस चुनाव में एनडीए व महागंठबंधन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. लेकिन तीसरे मोरचे की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता. राजनीतिक धुरंधरों की माने तो तीसरे मोरचे व बागी उम्मीदवारों की वोट शेयरिंग जिले के सभी सीटों पर नतीजे को प्रभावित करेगी.

इनपुट : अमरेंद्र कुमार अमर

सुपौल

दोनों गंठबंधनों में मुकाबला

सुपौल विधानसभा क्षेत्र से जदयू के कद्दावर नेता व बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव वर्ष 1990 से अब तक लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. बीते 25 वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे यादव को परास्त करना विरोधियों के लिये किसी चुनौती है.

भाजपा ने पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है. दोनों प्रमुख गंठबंधन में कड़े संघर्ष की उम्मीद की जा रही है. कुल 10 प्रत्याशी इस बार चुनावी मैदान में हैं. बसपा के मो जियाउर रहमान इस चुनाव में तीसरा महत्वपूर्ण कोण बना सकते हैं.

पीपरा

तिकोने संघर्ष के आसार

बीते विधानसभा चुनाव 2010 में जदयू की सुजाता देवी ने यहां लोजपा प्रत्याशी दीनबंधु यादव को 14688 मतों से पराजित किया था. इस बार उनका टिकट कट चुका है. महागंठबंधन ने यहां राजद के यदुवंश कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है. जबकि भाजपा के टिकट पर पूर्व विधायक सुजाता देवी के पति व पूर्व सांसद विश्वमोहन कुमार चुनाव लड़ रहे हैं.

यूं तो दोनों गंठबंधन में सीधा मुकाबला माना जा रहा है. जअपा के मो इदरिश, बसपा के महेंद्र साह व सपा के मो इजहार भी यहां चुनावी मैदान में हैं. तीसरे धड़े की वोट में हिस्सेदारी चुनावी परिणाम को प्रभावित करेगी, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है. वैसे सभी पार्टिया अपने-अपने आधार वोटों को एकजुट करने में लगी हैं.

निर्मली

बागी ने दिलचस्प बनाया मुकाबला

बीते विधानसभा चुनाव में जदयू के अनिरु द्ध प्रयाद यादव ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के विजय कुमार गुप्ता दूसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन इस बार तसवीर बिल्कुल बदली नजर आ रही है.

भाजपा ने राम कुमार राय को टिकट दिया है. दो गंठबंधनों में कड़ी टक्कर की उम्मीद जतायी जा रही है. वहीं जन अधिकार पार्टी के विजय कुमार यादव के इस चुनाव में भागीदारी को भी कम नहीं आंका जा सकता है. भाजपा के बागी श्रवण कुमार चौधरी भी मैदान में हैं. दोनों प्रत्याशी यादव मतों को बांटने में सफल होंगे तो मुकाबला और दिलचस्प होगा. इसलिए दोनों गंठबंधन के प्रत्याशी और बड़े नेता अपने-अपने आधार वोटों को एकजुट रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

त्रिवेणीगंज

गंठबंधनों की लड़ाई में बना तीसरा कोण

वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से जदयू की अमला देवी विजयी रही थी. उन्होंने लोजपा के अनंत कुमार भारती को करीब 29 हजार मतों से पराजित किया था. लोजपा के श्री भारती फिर इस बार पार्टी के प्रत्याशी हैं. जबकि जदयू की अमला देवी का टिकट कट चुका है.

पार्टी ने उनकी जगह वीणा भारती को उम्मीदवार बनाया है. श्रीमती भारती पूर्व विधायक स्व विश्वमोहन भारती की पत्नी हैं. इधर जदयू से टिकट नहीं मिलने से नाराज अमला देवी ने जन अधिकार पार्टी का दामन थाम लिया है. वे इस बार जअपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. उनकी नजर जअपा के आधार वोटों पर है. जिले की एक मात्र सुरिक्षत क्षेत्र की राजनीतिक परिस्थिति काफी रोचक हो चुकी है. हालांकि एनडीए व महागंठबंधन की ओर से अपने वोटों को एकजुट रखने की हर संभव कोशिश भी की जा रही है. त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

छातापुर

सबके अपने-अपने दावे

छातापुर विधानसभा क्षेत्र से नीरज कुमार सिंह बबलू ने जदयू प्रत्याशी के रूप में बीते चुनाव में राजद के अकील अहमद को पराजित किया था. इस बार चुनावी तसवीर एकदम बदल चुकी है.

बबलू जदयू से बगावत के बाद भाजपा के टिकट पर इस बार मैदान में हैं. जबकि बीते चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे राजद के अकील अहमद को भी पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया. वे इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. महागंठबंधन ने यहां राजद प्रत्याशी मो जहूर आलम को टिकट दिया है. कुल 13 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं. जिनमें सीपीआइएम की नीतू कुमारी, व जअपा के संजय कुमार मिश्र भी हैं.

बीते लोक सभा चुनाव में एक मात्र इस क्षेत्र में भाजपा ने बढ़त हासिल की थी. हालांकि इस बार कड़े संघर्ष की उम्मीद की जा रही है. इस तरह पिछले चुनाव के दौरान चुनाव मैदान में उतरने वाले महारथियों की जो तसवीर थी, वह बदल चुकी है. माना जा रहा है कि इस बदलाव का असर परिणाम पर पड़ सकता है. लेकिन यह किस रूप में सामने आयेगा, इसका आकलन मुश्किल है.

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