सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की महिमा है निराली फोटो-02कैप्सन- पूजा -अर्चना करते श्रद्धालु प्रतिनिधि, पिपरा दशहरा के मौके पर पिपरा बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. यहां वर्ष 1931 से माता की पूजा -अर्चना प्रारंभ की गयी थी. तब से यह सिलसिला लगातार जारी है. बंगाली पंडित व बंगला रीति रिवाज से होती आ रही पूजा की शुरुआत स्व मधुशुदन दे के द्वारा हुई थी. उन्होंने मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर वर्ष 1931 में पूजा प्रारंभ की थी. बाद में उनके पुत्र तारिणी प्रसाद दे अपने एक सहयोगी के साथ मूर्ति निर्माण व पूजा करते थे. कहते हैं बंगाली पंडितहेमन्तो चटर्जी घोटन जी ने बताया कि तीन पीढ़ियों से इस मंदिर में पूजा की जा रही है. उनके दादा स्व भूपति चटर्जी पिता स्व नरेंद्र नाथ चटर्जी पिता के बाद अब वे वर्षों से पूजा अर्चना करते आ रहा हैं. बताया यहां आज भी पूजा का विशेष महत्व है. इलाके में बंगला रीति रिवाज से दुर्गा पूजा का एक मात्र इसी दुर्गा मंदिर में होती है. यहां मां दुर्गा की पूजा पंचमी तिथि से कलश स्थापना के साथ शुरू होती है. षष्ठी तिथि को नयन पट खुलने के साथ ही माहौल भक्तिमय हो जाता है. नवमीं तिथि को कुमारी पूजा की जाती है. यहां मां का साक्षात रूप दिखता है. समय के साथ पूजा व मेला का आयोजन और भी भव्य होने लगा है. इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं. दशहरा के मौके पर बाजार क्षेत्र के अलावा आस -पास के ग्रामीण इलाकों से भी लोगों की भीड़ यहां पूजा -अर्चना के लिए उमड़ती है. इस वर्ष भी मंदिर में पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है.
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सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की महिमा है निराली
सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की महिमा है निराली फोटो-02कैप्सन- पूजा -अर्चना करते श्रद्धालु प्रतिनिधि, पिपरा दशहरा के मौके पर पिपरा बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. यहां वर्ष 1931 से माता की पूजा -अर्चना प्रारंभ की गयी थी. तब से यह सिलसिला लगातार जारी है. बंगाली पंडित व बंगला रीति […]
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