सिमराही : पहले प्याज और अब दाल की कीमतों में लगी आग के कारण केवल गृहणियां ही नहीं परेशान हैं, बल्कि इसका खामियाजा आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को भी उठाना पड़ रहा है.
सरकार द्वारा निर्धारित सरकारी दर पर दाल उपलब्ध नहीं होने के कारण जहां सेविकाओं को लाभुकों से फजीहत झेलनी पड़ती है वहीं उन्हें अधिकारियों के कोप का भाजन भी बनना पड़ता है.कुल मिला कर स्थिति यह है कि कार्रवाई एवं लाभुकों के किचकिच से बचने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं को इस कार्य में घर का आटा गीला करना पड़ रहा है.
क्या है योजनाआइसीडीएस निदेशालय के निर्देश के आलोक में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषक क्षेत्र के गर्भवती एवं धात्री महिला, कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों को माह के 15 से 22 तारीख तक सूखा राशन के रूप में चावल व दाल उपलब्ध कराया जाता है.लेकिन सरकारी स्तर पर आवंटित राशि में दाल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
जिसके कारण सेविकाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.तीन गुणा अधिक कीमत पर उपलब्ध है दालसरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर दाल के लिए 50 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान किया जाता है.जबकि वर्तमान समय में उन्हें 150 रुपये की दर से दाल क्रय कर वितरण करना पड़ रहा है.
कई आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बताया कि दाल की कीमत में वृद्धि के बाद प्रत्येक माह उन्हें 700 से 1000 रुपये अधिक वहन करना पड़ रहा है.लाभुक हुए सक्रियवैसे तो सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए हमेशा से ही लोग होड़ मची रहती है.लेकिन दाल की कीमत में वृद्धि के बाद अब लाभुक काफी सक्रिय हो गये हैं.
उन्हें हमेशा इस बात का इंतजार रहता है कि कब केंद्र पर राशन का वितरण प्रारंभ होगा.आंगनबाड़ी सेविका ललिता कुमारी, गीता कुमारी, रेखा कुमारी, मंजू कुमारी आदि ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित राशि से तीन गुणा अधिक कीमत पर दाल उपलब्ध हो रहा है.ऐसे में निर्धारित राशि में बढ़ोतरी किये जाने की आवश्यकता है.