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दस वद्यिा मंदिर की महिमा है अपरंपार

दस विद्या मंदिर की महिमा है अपरंपार फोटो-27, 28, 29केप्सन -मंदिर में स्थापित नवग्रह की मूर्तियां,दश विद्या मंदिर में स्थापित मूर्ति, दुर्गा मंदिर प्रतिनिधि,सुपौलसदर प्रखंड क्षेत्रन्तर्गत बरूआरी पश्चिम गांव में स्थित दस विद्या व नवग्रह मंदिर की महिमा अपरंपार है. प्राचीन कालीन दस विद्या मंदिर में आदि शक्ति मां दुर्गा के दस स्वरूप कमला, लक्ष्मी, […]

दस विद्या मंदिर की महिमा है अपरंपार फोटो-27, 28, 29केप्सन -मंदिर में स्थापित नवग्रह की मूर्तियां,दश विद्या मंदिर में स्थापित मूर्ति, दुर्गा मंदिर प्रतिनिधि,सुपौलसदर प्रखंड क्षेत्रन्तर्गत बरूआरी पश्चिम गांव में स्थित दस विद्या व नवग्रह मंदिर की महिमा अपरंपार है. प्राचीन कालीन दस विद्या मंदिर में आदि शक्ति मां दुर्गा के दस स्वरूप कमला, लक्ष्मी, मातंगी, बगलामुखी, घुमावती, छिन्नमस्तिका, त्रिपुर भैरवी, भुवनेश्वरी, षोडशी, तारा तथा श्यामा काली की काले पत्थर की मूर्तियां विद्यमान हैं. बगल में नवग्रह मंदिर स्थित है. इनमें सभी नौ ग्रह की मूर्तियां स्थापित हैं.उत्तर बिहार का शायद यह एकमात्र मंदिर है, जहां शक्ति के दसों स्वरूप एक साथ विद्यमान हैं. लोगों में मंदिर के प्रति जबर्दस्त आस्था और विश्वास है. ग्रामीण बताते हैं कि श्रद्धा व भक्ति के साथ जो भी यहां शीष नवाता है, उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं. नौवीं सदी की हैं मूर्तियां मंदिर की स्थापना को लेकर लोगों में थोड़ी बहुत भ्रांतियां है, लेकिन सबों की एक राय है कि यह इलाके की प्राचीनतम मंदिर है. स्थानीय ग्रामीण सेवानिवृत्त शिक्षक सुरेश्वर सिंह बताते हैं कि मंदिर में अवस्थित मूर्तियां नौवीं शताब्दी की है. इसका निर्माण पालवंश के शासन काल में हुआ था. बाद में करीब दो सौ वर्ष पूर्व बरूआरी के राजा तेजेंद्र नारायण सिंह ने इस मंदिर का निर्माण कर इसमें पौराणिक मूर्तियों की स्थापना की थी. कुछ ग्रामीण बताते हैं कि यह मूर्तियां पूर्व में नवहट्टा राज में अवस्थित थीं, लेकिन वहां मुगल शासन स्थापित होने के बाद राजा तेजेंद्र नारायण सिंह ने इन मूर्तियों को वहां से लाकर बरूआरी में स्थापित किया था. सेवानिवृत शिक्षक श्री सिंह बताते हैं कि इन अनमोल मूर्तियों की जांच राज्य के पुरातत्व विभाग द्वारा की गयी थी और फिर इनकी महत्ता के मद्देनजर इन्हें सरकारी संग्रहालय में ले जाने का प्रयास भी किया गया था. पर, ग्रामीणों के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो पाया. मंदिर के पुजारी हरेकृष्ण झा बताते हैं कि इन बहुमूल्य मूर्तियों को चोरों ने कई बार चुराने का प्रयास किया. पर, प्रतिमाएं अपनी जगह से नहीं खिसकीं. उन्होंने बताया कि मंदिर में सुबह-शाम नियमित रूप से पूजन व धूप आरती होती है. दशहरा में बढ़ती है रौनकमंदिर के समक्ष सदियों से हर साल दुर्गा पूजा व मेले का भव्य आयोजन होता है. काल क्रम में दस विद्या मंदिर के समीप दुर्गा मंदिर का निर्माण भी किया गया है, जहां दशहारा के मौके पर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. पूजा समिति के अध्यक्ष डॉ शांतिभूषण एवं सचिव नितिन कुमार सिंह ने बताया कि दशहारा के मौके पर 13 अक्तूबर को मैया जागरण तथा 14 अक्तूबर को अनवर नाइट का आयोजन किया गया है. इसमें मुंबई के प्रख्यात पार्श्व गायक अनवर समेत भोजपुरी गायिका चैताली, अनमोल आचार्य, पायल मुखर्जी, अविनाश ठाकुर जैसे बड़े कलाकारों द्वारा शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुती की जायेगी.

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