वो जमाना बीत चुका है, जब गांव- गांव में चौपाल का आयोजन होता था और समाज के ठेकेदारों द्वारा जनप्रतिनिधि को वोटरों के आंकड़ों के साथ आश्वस्त कराया जाता था कि इस चुनाव में उन्हें इतने मत प्राप्त होंगे.
मतदाता भी सामाजिक, आर्थिक व नैतिकता के मसले पर एकजुट होकर वोट करते थे और नामांकन के बाद ही स्पष्ट हो जाता था कि यह उम्मीदवार संबंधित क्षेत्र के जन प्रतिनिधि होंगे. जिसे लेकर स्थानीय जन सहयोग के माध्यम से जन प्रतिनिधि द्वारा नामांकन दिया जाता था. गाजे- बाजे के साथ जुलूस की शक्ल में नामांकन का कार्य होता था.
बदले परिवेश में चुनाव आयोग भी निष्पक्ष मतदान कराने को लेकर सख्त है. वहीं अधिकांश पार्टियों द्वारा वार्ड स्तर तक कार्यकर्ताओं की एक टीम बना दी गयी है. सभी कार्यकर्ताओं को एक लक्ष्य भी दे दिया गया है कि वे अधिक से अधिक मतदाता को अपने पक्ष में रिझा सकें.
इस कारण जागरूक मतदाता स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पाते कि उनका वोट विजयी उम्मीदवार के लिए है या फिर किसी और के लिए. इस मुद्दे पर प्रभात खबर द्वारा व्यवसायियों से ली गयी रायशुमारी के दौरान लोगों ने अपना मत जाहिर किया. टुनटुन भगत ने कहा कि लोकतंत्र में सभी स्वतंत्र है. प्रत्येक मतदाता के विचार भी स्वतंत्र हैं. जन प्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो कटुता व धार्मिक सहिष्णुता से ऊपर उठ कर कार्य करे.
साथ ही हरेक समाज को एक समान समझे.व्यवसायी वीरेंद्र चौधरी का मानना है कि लोकतंत्र में मताधिकार का प्रयोग करना अनिवार्य है. जन प्रतिनिधि को चाहिए कि वे स्थानीय समस्या से सरोकार रखें और मतदाता के दु:ख व सुख दोनों ही मौके पर उपस्थित होकर जनता को आश्वस्त करें. जनप्रतिनिधि के लिए परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं होता.गुड्डू कुमार महतो ने बताया कि जन प्रतिनिधि समाज धर्म का पालन करे.
चुनाव के मौके पर भ्रमण करने के दौरान स्थानीय जन समस्या को सुने और सभी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर समाधान कराये. साथ ही जन प्रतिनिधि व स्थानीय समस्याओं के बीच किसी अन्य को फटकने ना दे.गणेश कुमार शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों का स्थान सबसे ऊपर है.
समाज के कर्णधारों को राग, द्वेष, वैमनस्यता की बात नहीं करनी चाहिए. जन प्रतिनिधि का सोच ऐसा हो, जिससे जन मानस में भाईचारा व सद्भाव का माहौल कायम हो सके.लालेश्वर कामत ने बताया कि जन प्रतिनिधि को अवसरवादी नहीं होना चाहिए. विविध पार्टियों द्वारा वार्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं की टीम बनायी गयी है.
इससे लोगों की स्वतंत्रता पर ठेस पहुंच रही है. आज के जन प्रतिनिधियों को जनता की आवाज को सुननी चाहिए. साथ ही उस आवाज का जवाब कार्य के रूप में देना चाहिए.नीरज कुमार का मानना है कि जन प्रतिनिधि को प्राथमिक समस्याओं को दूर करते हुए नये – नये विकास का कार्य करना चाहिए, ताकि उनका क्षेत्र राष्ट्र के मानचित्र पर अपना स्थान कायम कर सके.अमित कुमार ने कहा कि जन प्रतिनिधि को व्यक्तिगत विकास को छोड़ कर सामूहिक विकास पर जोर देना चाहिए.
साथ ही जाति, वर्ग ,समुदाय से अलग रह कर कार्यों पर ध्यान देना चाहिए.अशोक ठाकुर ने बताया कि जन प्रतिनिधियों को सामाजिक सरोकार को लेकर कार्य करनी चाहिए. वर्तमान समय में जन प्रतिनिधि अपनी जीत को लेकर जाति, धर्म सहित अन्य मुद्दे का सहारा ले रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.