प्रतिनिधि,सुपौल रजमान के पाक महीने में रोजेदारों के लिए आसरो का खास महत्व होता है. अब तक दो आसरे बीत चुके हैं और तीसरा आसरा जो कि रमजान का सबसे महत्वपूर्ण आसरा होता है, चल रहा है. तीसरे आसरे के महत्व की खास वजह इसमें सबे-कदर की रात आती है. यह बातें स्थानीय जामा मसजिद हुसैन चौक के इमाम मुफ्ती मो अकबर काशमी ने कहीं. उन्होंने कहा कि अल्लाह -तआला का बहुत बड़ा फजल व एहसान है कि उन्होंने रमजान जैसा बरकत व रहमत वाला पाक महीना मुसलमानों को अता फरमाया है. तीसरे आसरे के संबंध में उन्होंने कहा कि इस आसरे में एक रात ऐसी भी है, जो हजारों महीनों से अफजल है. इसका तजकीरा अल्लाह -तआला ने कुरान शरीफ में किया है. नवी ने फरमाया है कि हर मोमिन को चाहिए कि इस रात की तलाश में रहें और इस रात में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने का एहतमाम करें. जो इंसान सबे कदर की रात इबादत में गुजारता है, उसे 8300 वर्ष ज्यादा इबादत करने का शबाब हासिल होता है. इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि सबेकदर की रात को अल्लाह की इबादत में गुजारें.
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माहे रमजान में तीसरे आसरे की बड़ी है अहमियत
प्रतिनिधि,सुपौल रजमान के पाक महीने में रोजेदारों के लिए आसरो का खास महत्व होता है. अब तक दो आसरे बीत चुके हैं और तीसरा आसरा जो कि रमजान का सबसे महत्वपूर्ण आसरा होता है, चल रहा है. तीसरे आसरे के महत्व की खास वजह इसमें सबे-कदर की रात आती है. यह बातें स्थानीय जामा मसजिद […]
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