फोटो-03,05कैप्सन- शिविर में स्थापित ओशो का चित्र एवं ध्यान में मग्न अनुयायी वीरपुर ‘अल्लाह हुह का हुह शब्द अपने आप में महामंत्र है, जिसके उद्घोष से सांसों की गति को नियंत्रित करते हुए ऊर्जा का उद्गमन होता है’. यह बातें मां ईशा ने कही, जिनके प्रयास से 20 वर्षों के बाद अनुमंडल मुख्यालय में चार दिवसीय ओशो ध्यान शिविर का आयोजन किया गया है. 15 फरवरी से प्रारंभ हुए ध्यान शिविर में पटना, भागलपुर, बांका, पूर्णिया और सुपौल के अलावा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल स्थित झापा, इटहरी, चकरघट्टी, धरान एवं विराटनगर से भी ओशो के अनुयायी भाग ले रहे हैं. सुबह 06:30 बजे से रात्रि के 09:00 बजे तक संचालित शिविर में बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन जारी रहता है. स्थानीय लोग भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. शिविर संचालिका मां प्रेम ईशा ने बताया कि प्रात:कालीन सत्र में सक्रिय ध्यान के अतिरिक्त अन्य ध्यान विधियां करायी जाती है. वहीं दिन के सत्र में विपस्सना, नटराज, इबादत आदि के साथ-साथ अनापाठसती योग, तथाता, स्टॉप मेडिटेशन, नो माइंड, नाद ब्रह्म व सत्संग पर बल दिया जाता है. संध्या कालीन सत्र में ओशो प्रवचन के साथ कुंडलिनी ध्यान, सत्संग व रात्रि ध्यान के वर्ग आयोजित किये जाते हैं. स्वामी जय प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि अपने ही देश में ओशो को संतों की श्रेणी में स्वीकार हीं नहीं किया गया,जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ओशो को पाखंड पसंद नहीं था, जबकि आज-कल टीवी चैनलों पर बाबाओं की भीड़ लगी रहती है. इन सबके बावजूद आम जनता को आज भी एक सच्चे गुरु की तलाश है. ध्यान, प्रेम, आदर व उत्सव से मानव जीवन को शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में ओशो केंद्रों का सतत प्रयास जारी है.
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ओशो ध्यान शिविर में उमड़ रहे लोग
फोटो-03,05कैप्सन- शिविर में स्थापित ओशो का चित्र एवं ध्यान में मग्न अनुयायी वीरपुर ‘अल्लाह हुह का हुह शब्द अपने आप में महामंत्र है, जिसके उद्घोष से सांसों की गति को नियंत्रित करते हुए ऊर्जा का उद्गमन होता है’. यह बातें मां ईशा ने कही, जिनके प्रयास से 20 वर्षों के बाद अनुमंडल मुख्यालय में चार […]
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