जिले में अबतक खुल चुके हैं 7500 स्वयं सहायता समूह
सुपौल : जीविका के तत्वावधान में जिला स्तरीय बैंकर्स कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को समाहरणालय स्थित टीसीपी भवन में किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी एलपी चौहान ने दीप प्रज्वलित कर किया.
डीएम श्री चौहान ने जीविका की महत्ता व उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए इसे समाज से गरीबी दूर करने में महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा गरीब महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को आरंभिक पूंजी के तौर पर ऋण स्वरूप 75 हजार रुपये प्रदान की जाती है, इससे समूह की महिलाएं मुरगी पालन, कृषि कार्य, पशु पालन व छोटे-मोटे कार्य कर आर्थिक उन्नति हासिल करती है.
उन्होंने बताया कि जिले में अब तक 7500 से अधिक समूह का गठन किया गया है. इनका बैंक खाता होना जरूरी है, ताकि बैंक द्वारा उनके खाते में आरंभिक पूंजी प्रदान की जा सके.
प्राथमिकता से खोलें खाता
डीएम ने बैंक प्रबंधकों से इनका खाता प्राथमिकता के आधार पर खोले जाने का आह्वान किया. कहा कि खाते से समूह व महिलाओं के साथ ही बैंक को भी लाभ मिलेगा. उन्होंने जीविका के लिए खुद कई राज्यों में किये कार्य का अनुभव बताते हुए इसे सामाजिक व आर्थिक विकास का मुख्य हिस्सा बताया. डीडीसी हरिहर प्रसाद ने कहा कि जनवरी, फरवरी व मार्च के 21 तारीख को मेगा क्रेडिट कैंप का आयोजन कर जीविका से जुड़े दो हजार समूहों को बैंक द्वारा ऋण उपलब्ध कराया जायेगा.
कई प्रखंडों में हो रहा काम
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक अमर शेखर पाठक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का आर्थिक व सामाजिक सशक्तीकरण के उद्देश्य से वर्ष 2007 में परियोजना का बिहार में प्रारंभ हुआ था.
जबकि सुपौल जिले में इसकी शुरुआत दो अक्तूबर 2009 में बाढ़ प्रभावित प्रखंड छातापुर में हुई. उन्होंने बताया कि फिलवक्त सात प्रखंड निर्मली, सरायगढ़-भपटियाही, मरौना, राघोपुर, किसनपुर, पिपरा व सदर प्रखंड में कार्य प्रारंभ हो चुका है. मौके पर यूबीजीबी के एसएन चौधरी सहित कई अन्य बैंकरों ने जीविका से जुड़े स्वयं सहायता समूहों को बैंक से भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया. मौके पर पीएनबी के समन्वयक जेपी सिंह, नाबार्ड के डीडीएम बीके मिश्र, अग्रणी बैंक प्रबंधक मनीष घोष, जीविका के नीलकमल चौधरी समेत अन्य उपस्थित थे.