फोटो-1केप्सन- अस्पताल मे उपस्थित कंपाउंडर प्रतिनिधि, जदिया बाजार स्थित भाड़े के मकान में संचालित पशु चिकित्सालय बदहाली के दौर से गुजर रहा है. एक तरफ जहां सरकार द्वारा पशु संवर्धन के लिए नित नयी योजनाएं बनायी जा जा रही है, वहीं जदिया पशु चिकित्सालय सरकार की योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. संसाधन के अभाव में यह पशु चिकित्सालय अनुपयोगी साबित हो रहा है. इस इलाके के लोगों का आर्थिक आधार पशु पालन व कृषि है, लेकिन कुसहा त्रासदी के बाद से अप्रत्याशित रूप से पशुओं में खास कर दुधारू पशुओं में बांझपन व अन्य बीमारियां बढ़ी है. इस वजह से लगातार दुधारू पशुओं की संख्या में गिरावट दर्ज हो रही है. इस प्रकार पशुपालन से लोगों का मोह भंग भी हो रहा है. समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने से भी पशुपालक अपने कार्य से विमुख हो रहे हैं. नतीजा भी सामने है कि स्थानीय लोग अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर रहने लगे हैं. इसके अलावा मानसी व खगडि़या जैसे सुदूर इलाके से यहां दूध लाया जा रहा है. इस प्रकार दूध व घी के लिए कभी मशहूर रहा यह इलाका अपनी पहचान खोता जा रहा है. पशु चिकित्सालय में एक चिकित्सक संजय सुमन सहित कंपाउंडर विष्णुदेव मेहता पदस्थपित हैं, लेकिन चिकित्सक संजय सुमन लगातार पशु चिकित्सालय से गायब ही रहते है. इस कारण पशुपालकों को पशु के उपचार के लिए निजी व अकुशल ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे रहने पड़ता है और यह महंगा भी साबित होता है. इस बाबत चिकित्सक संजय सुमन ने बताया की उपलब्ध संसाधन के आधार पर पशुओं का इलाज किया जाता है.
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ग्रामीण क्षेत्रों में घट रही दुधारू पशुओं की संख्या
फोटो-1केप्सन- अस्पताल मे उपस्थित कंपाउंडर प्रतिनिधि, जदिया बाजार स्थित भाड़े के मकान में संचालित पशु चिकित्सालय बदहाली के दौर से गुजर रहा है. एक तरफ जहां सरकार द्वारा पशु संवर्धन के लिए नित नयी योजनाएं बनायी जा जा रही है, वहीं जदिया पशु चिकित्सालय सरकार की योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. संसाधन के […]
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