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सुपौल को मिला दूसरा स्थान, मधेपुरा 17वें नंबर पर

सुपौल : बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में सरकार द्वारा अगस्त माह की जारी की गयी रैंकिंग में सुपौल ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है. सामान्य प्रशासन विभाग बिहार द्वारा जारी रैंकिंग में 88.55 अंक प्राप्त कर किशनगंज जिला प्रथम स्थान पर है. वहीं सुपौल ने 84.53 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान […]

सुपौल : बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में सरकार द्वारा अगस्त माह की जारी की गयी रैंकिंग में सुपौल ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है. सामान्य प्रशासन विभाग बिहार द्वारा जारी रैंकिंग में 88.55 अंक प्राप्त कर किशनगंज जिला प्रथम स्थान पर है. वहीं सुपौल ने 84.53 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है. जबकि कोसी प्रमंडल के दो अन्य जिले इस रैंकिंग में काफी दूर दिखाई दे रहा है. मधेपुरा ने 58.95 अंक प्राप्त कर 17वां एवं सहरसा ने 57.37 अंक प्राप्त कर 18वां स्थान पर है.

बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी पटना के प्रशासनिक पदाधिकारी ने अपने कार्यालय पत्रांक 1699-दिनांक 17 सितंबर 2019 के द्वारा सूबे के सभी जिला पदाधिकारी को पत्र लिख कर बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में उपलब्धियों के आधार पर जिला की रैंकिंग निर्धारित किये जाने के प्रसांगिक पत्रों के द्वारा संसूचित मापदंडों एवं जिले के कार्य निष्पादन के आंकड़ों के आधार पर माह अगस्त 2019 के लिये जिलावार रैंकिंग निर्धारित की गयी है. आंकड़ों एवं जिलावार रैंकिंग के आधार पर सुपौल जिला ने कुल 100 अंक में 84.53 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है.
समय सीमा के अंदर 12 हजार 416 परिवाद का किया गया निष्पादन
बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी पटना के द्वारा रैंकिंग निर्धारण हेतु जिलावार सूची के अनुसार सुपौल जिला में कुल परिवाद की संख्या माह अगस्त 2019 तक 15 हजार 450 है. जिसमें समयसीमा के भीतर 12 हजार 416 परिवाद को निष्पादित किया गया है. वहीं अगस्त 2019 में कुल 371 परिवाद को निष्पादित किया गया है. अगस्त 2019 में सुनवाई की संख्या 02 हजार 181 है.
जिसमें 1601 मामले में लोक प्राधिकार की अपेक्षित उपस्थिति थी. लेकिन 1490 लोक प्राधिकार सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए. कुल 111 लोक प्राधिकार सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हुए. जिनका एक दिन का वेतन भी स्थगित किया गया. बताया जा रहा है कि बिहार लोक शिकायत अधिकार अधिनियम के तहत समय सीमा के भीतर परिवाद के निष्पादन होने से परिवादियों में संतोष का भाव है. परिवादी इस अधिनियम के क्रियान्वयन से संतुष्ट भी दिखाई दे रहे हैं.

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