उदासीनता. अपने उद्देश्य से भटक रही जिले में संचालित कृषि से संबंधित योजनाएं
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उदासीनता. अपने उद्देश्य से भटक रही जिले में संचालित कृषि से संबंधित योजनाएं सुपौल : जिले के आर्थिक समृद्धि में कृषि की भागीदारी अहम रही है. साथ ही फसल के अनुरूप किसानों को प्राकृतिक सहयोग भी मिल रहा था. लेकिन कुछ दशकों से किसानों को फसलों के पैदावार में सुखाड़, बाढ़ सहित अन्य आपदा व […]
सुपौल : जिले के आर्थिक समृद्धि में कृषि की भागीदारी अहम रही है. साथ ही फसल के अनुरूप किसानों को प्राकृतिक सहयोग भी मिल रहा था. लेकिन कुछ दशकों से किसानों को फसलों के पैदावार में सुखाड़, बाढ़ सहित अन्य आपदा व विपदाओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इन परिस्थितियों से निबटने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा फसलों के उन्नत पैदावार के लिए किसानों के हित में कई प्रकार की योजनाओं का संचालन किया गया.
साथ ही आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों को कभी फसलों की सिंचाई भी समय – समय पर अनुदानित दर पर उपलब्ध कराये जाने का कार्य कराया जा रहा है. सभी कार्यों का निबटारा ससमय हो, इसे लेकर पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक कर्मियों से लेकर पदाधिकारियों की नियुक्ति कर संबंधितों को जिम्मेवारी दी गयी. लेकिन जब पदाधिकारी ही अपने कर्तव्य व निष्ठा के प्रति सचेत ना हो तो इसका खामियाजा किसानों को उठाना ही पड़ेगा. कुछ ऐसा ही हाल जिले भर के किसानों का देखा जा रहा है.
विभागीय लापरवाही के कारण कागज पर सिमटी है योजना
किसानों की मानें तो राज्य सरकार द्वारा संचालित अनुदानित दर पर बीज वितरण, मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम, धान की मिनीकीट योजना, कृषि यांत्रिकरण, किसान सलाहकार योजना, जैविक खेती प्रोत्साहन योजना, डीजल अनुदान वितरण व जिरो टिलेज तकनीक से गेहूं का प्रत्यक्षण योजनाएं तथा केंद्र सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से अधिकांश किसान अवगत हैं. शेष सभी योजनाओं की जानकारी ना तो उन लोगों को मिली है
और ना ही क्षेत्रीय पदाधिकारी द्वारा इस दिशा में किसी प्रकार का पहल किया जा रहा है. किसानों ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा कृषक वर्ग के हित में योजनाओं का संचालन किया जाता रहा है. लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय के पदाधिकारियों द्वारा योजनाओं में रुचि नहीं लिये जाने के कारण वे सभी सरकारी लाभ से वंचित रह रहे हैं.
किसानों ने सुनायी व्यथा
किसान वीरेंद्र यादव, गंगा, यादव, प्रमोद शर्मा, गुड्डू यादव, शीतल मेहता, माहेश्वरी कामत, डोमी कामत, विजय मेहता, धनेश्वर पौद्दार, अनमोल पासवान, भूषण भगत सहित अन्य ने बताया कि स्थानीय कार्यालय के कर्मियों से लेकर पदाधिकारियों तक डीजल अनुदान व पूर्ण राशि भुगतान कर खाद- बीज क्रय किये जाने के बाद मिलने वाली अनुदान की राशि उपलब्ध कराने में ही विभाग उलझी रहती है. बताया कि एक तरफ सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने की बात कही जाती है.
जबकि किसी तरीके से कर्ज उठा कर किसान खाद बीज की खरीदारी करते हैं. ताकि ससमय वे सभी फसलों की बुआई कर सके. लेकिन उनके द्वारा जमा किये गये राशि को कई माह विभाग द्वारा रख लिया जाता है. साथ ही बाद में अनुदान की राशि कह लौटाया जाता है.
किसानों को सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. स्वी विधि, गरमा बीज सहित अन्य योजनाओं के तहत किसानों को मिलने वाले अनुदान की राशि शीघ्र ही किसानों को उपलब्ध करा दिया जायेगा. कोषागार की शिथिलता व बैंक शाखा की लापरवाही के कारण किसानों को मिलने वाले अनुदान की राशि में देरी हुई है.
शिवनाथ झा, प्रखंड कृषि पदाधिकारी
योजनाओं के ये हैं उद्देश्य
जानकारों की माने तो सरकार द्वारा कृषि की उन्नति को लेकर संचालित वर्षाश्रित क्षेत्र विकास योजना का मूल उद्देश्य कलस्टर आधारित समेकित कृषि प्रणाली को अपनाकर फसलों की उत्पादकता बढ़ाना जैसे-फसल, बागवानी, गव्य, पशु संसाधन, मत्स्य, वानिकी इत्यादि तथा प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण तथा मूल्य संवर्द्धन है.
इस योजना का मुख्य कार्यक्रम ग्रीन हाउस, मधुमक्खी पालन, साईलेज इकाई, कटाई उपरान्त भंडारण/प्रसंस्करण इकाई, तालाब/जलाशय का निर्माण व्यक्तिगत/सामुदायिक, जलाशय का उद्धार, ट्यूब वेल, सिंचाई पाइप, सोलर पाइप, डीजल/विद्युत चालक पाइप, वर्मी कम्पोस्ट इकाई, हरी खाद सहित अन्य शामिल है. वहीं मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड एवं प्रबंधन योजना के उद्देश्य के बारे में बताया कि अगले तीन वर्षों में पूरे राज्य के खेतों की मिट्टी की जांच कर किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना, कृषि छात्रों के क्षमता संवर्द्धन भागीदारी तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ प्रभावी सहयोग से मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं को सुदृढ करना,
इस योजना अंतर्गत जिलों के मिट्टी की उर्वरता संबंधित समस्याओं का निदान हेतु समान रूप से मिट्टी नमूना लेने के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ विश्लेषण, विकसित एवं पोषक तत्वों के उपयोग क्षमता को बढ़ाने के लिए जिलों में मिट्टी परीक्षण के आधार पर पोषक तत्व पबंधन को बढ़ावा देना, पोषक तत्व के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर के मिट्टी जांच से जुड़े कर्मियों तथा प्रगतिशील किसानों का क्षमता संवर्द्धन को सशक्त बनाना है. जबकि परम्परागत कृषि विकास योजना उद्देश्य के बारे में बताया कि जैविक खेती के परम्परागत संसाधनों का उपयोग को प्रोत्साहित करना एवं जैविक उत्पादों को बाजार के साथ जोड़ना है.
किसानों के निमित्त संचालित है 27 योजनाएं
गौरतलब हो कि खेतों से फसलों का उन्नत पैदावार कराये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 20 व केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सात योजनाएं है. जिनमें राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में अनुदानित दर पर बीज वितरण, राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्रों में बीज उत्पादन, मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम, बीज ग्राम योजना, एकीकृत बीज ग्राम योजना, धान की मिनीकीट योजना, बिहार राज्य बीज निगम का सुदृढ़ीकरण, बिहार राज्य बीज प्रमाणन एजेंसी को सहायक अनुदान, मिट्टी बीज एवं उर्वरक प्रयोगशाला के उन्नयन कार्यक्रम, कृषि यांत्रिकरण, ई-किसान भवन का निर्माण, टाल विकास योजना,
दियारा विकास योजना, किसान सलाहकार योजना, धान की कम्यूनिटी नर्सरी विकास, धातु कोठिला का अनुदानित दर वितरण कार्यक्रम, जैविक खेती प्रोत्साहन योजना, डीजल अनुदान वितरण, बाजार समिति का जीर्णोद्धार, जिरो टिलेज तकनीक से गेहूं का प्रत्यक्षण योजनाएं संचालित है. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में बढ़ावा को लेकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय तेलहन एवं आयलपाम मिशन, राष्ट्रीय कृषि संधारणीय मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, सबमिशन आन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन व नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान- एग्रीकल्चर योजना प्रारंभ किया गया है.
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