सुपौल : सरकार के तमाम कोशिश के बावजूद कोसी की बेटियों का दहेज के लिए हत्या हो रही है. सरकार द्वारा दहेज बंदी को लेकर नये निर्देश जारी किये गये. लेकिन सरजमीं पर इसे अमलीजामा पहनाने से जिम्मेदार आज भी कतरा रहे हैं. यही कारण है कि दहेज के कारण आये दिन महिलाओं के साथ कोई न कोई अप्रिय घटनाएं घटती रहती है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ महिला थाना में दहेज उत्पीड़न को लेकर इस वर्ष करीब 100 मामले दर्ज किये गये हैं. इसके अलावा विभिन्न थाना में भी दहेज संबंधी मामले आये दिन दर्ज होते रहते हैं. जिनमें से अधिकांश में आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन अब तक कुछ को छोड़ कर अधिकांश को सजा नहीं मिल पाया. 02 अक्टूबर को सरकार के निर्देश के बाद स्पीडी ट्रायल के माध्यम से इसे हल करने का निर्देश भी दिया गया है. ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके.
दहेज बंदी को लेकर अब सरकार के कड़े नियम के बाद इसके स्वरूप में भी बदलाव आने लगे हैं. दहेज लेने के लिये भी तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं. ताकि कानून का शिकंजा उनके गिरेबान तक नहीं पहुंच सके. बावजूद इसके दहेज दानवों द्वारा शादी के बाद भी महिलाओं के साथ किसी न किसी मांग को लेकर अत्याचार किये जाते रहें हैं. जिससे महिलाएं कभी-कभी या तो खुद को मौत को गले लगा लेती है या उन्हें मार दिया जाता है. इतना ही नहीं अधिकांश मामले में ससुराल वाले ही नव विवाहिता की दहेज की मांग पूरी नहीं करने पर हत्या कर देते हैं. ताजा मामला प्रतापगंज के सितुहर गांव का है. जहां महज शादी के दो साल के बाद ही दहेज के लिए महिला की हत्या कर दी गई . इतना ही नहीं लाश को घर में बंद कर ससुराल वाले घर से फरार हो गये. अब सवाल उठता है कि जब सरकार के कड़े नियमों के बावजूद इस तरह की घटनाएं घटित हो रही है तो जिम्मेदार घटना से पहले ऐसे मामलों में संज्ञान क्यों नहीं ले सकते. आमतौर पर देखा गया है कि इस तरह की शिकायत में पुलिस संजीदगी नहीं दिखाते हैं और अंतत: बड़ी घटना घट जाती है. दहेज को लेकर भले ही सार्वजनिक रूप से लोग इससे दूर नजर आते हों लेकिन अंदर की बात यह है कि दहेज को लेकर अधिकांश वर पक्ष वालों के लार टपकने लगते हैं. दहेज के स्वरूप में इस तरह का बदलाव कर दिया जाता है, कि सबूत के तौर पर कुछ नहीं बचता. जब तक इस मामले में कोई अप्रिय घटना नहीं घट जाती, तब तक बात संज्ञान में नहीं आता है.