सुपौल : आस्था के महापर्व छठ को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल है. स्टेशन रोड में वाहनों के अत्यधिक परिचालन के कारण श्रद्धालुओं को खरीदारी करने में भारी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े इसके लिये पुलिस प्रशासन सजग है. प्रशासन द्वारा सोमवार को महावीर चौक से स्टेशन तक आने-जाने वाले वाहनों को वन-वे कर […]
सुपौल : आस्था के महापर्व छठ को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल है. स्टेशन रोड में वाहनों के अत्यधिक परिचालन के कारण श्रद्धालुओं को खरीदारी करने में भारी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े इसके लिये पुलिस प्रशासन सजग है. प्रशासन द्वारा सोमवार को महावीर चौक से स्टेशन तक आने-जाने वाले वाहनों को वन-वे कर दिया गया है.
ताकि सड़क पर वाहनों का अत्यधिक जमावड़ा न हो. साथ ही श्रद्धालुगण पूजा को लेकर सुलभ तरीके से सामग्रियों की खरीदारी कर सके. मौके पर तैनात पुलिस कर्मी एएसआइ मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि इस पथ में कुछ देर के लिये वन-वे कर दिये जाने से सड़क पर छोटी-बड़ी गाड़ियों की भीड़ नहीं लगेगी. साथ ही दूर दराज के क्षेत्र से पूजन सामग्री खरीदारी करने आनेवाले श्रद्धालुओं को परेशानी भी नहीं होगी. बताया कि छठ पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए श्रद्धालु इस मार्ग का उपयोग करते रहे हैं.
लिहाजा श्रद्धालुओं की भीड़ इस मार्ग में जमा रहती है. पुलिस द्वारा उठाये गये इस कदम से कुछ देर के लिये वाहन चालकों को भले ही परेशानी का सामना करना पड़ा हो. लेकिन भारी संख्या में खरीदारी करने बाजार पहुंचे श्रद्धालुओं के चेहरे पर जरूर खुशी देखी गयी.
36 घंटे का होता है निर्जला व्रत
दीपावली के छठे दिन से शुरू होने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ चार दिनों तक चलता है. इन चारों दिन श्रद्धालु भगवान सूर्य की आराधना करके वर्ष भर सुखी, स्वस्थ और निरोगी होने की कामना करते हैं. चार दिनों के इस पर्व के पहले दिन घर की साफ-सफाई की जाती है. छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है. इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तथा समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है. इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते. चार दिनों का छठ पर्व सबसे कठिन व्रत होता है. इसलिए इसे छठ महापर्व कहा जाता है. इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों करते हैं. इसमें सूर्य की पूजा की जाती है. छठ पूजा के तीसरे और चौथे दिन निर्जला व्रत रखकर सूर्य पूजा करनी होती है. साथ ही सूर्य की बहन छठी मईया की पूजा होती है. छठी मइया बच्चों को दीर्घायु बनाती हैं. घर के एक दो बड़े सदस्य ही व्रत पूजा का पालन करते हैं, जो यह कठिन व्रत रख सकते हैं. ज्यादातर घर की बुजुर्ग माता या दादी छठ करती हैं. घर की कोई एक दो वृद्ध मुखिया स्त्री, पुरुष बहू आदि ही छठ के कठिन व्रत पूजा का पालन करते हैं. घर के बाकी सदस्य उनकी सहायता करते हैं.