सुपौल : खाद तस्करी के लिए सुरक्षित माने जाने वाले सुपौल की धरती पर एक बार फिर खाद तस्करों की आवाजाही बढ़ गयी है. यहां खाद पड़ोसी देश नेपाल भेजने का खेल एक बार फिर से शुरू है. भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर खाद तस्कर व सुरक्षा एजेंसियों के बीच कायम आंख मिचौनी का खेल भी लगातार जारी है.
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जिले में यूरिया की किल्लत बनी रहती है. थोक विक्रेता रैक प्वाइंट से ही अधिक दर पर यूरिया बेच देते हैं.
सुपौल : खाद तस्करी के लिए सुरक्षित माने जाने वाले सुपौल की धरती पर एक बार फिर खाद तस्करों की आवाजाही बढ़ गयी है. यहां खाद पड़ोसी देश नेपाल भेजने का खेल एक बार फिर से शुरू है. भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर खाद तस्कर व सुरक्षा एजेंसियों के बीच कायम आंख मिचौनी का खेल भी […]
यह तो जीवटता, धैर्य की पराकाष्ठा या फिर मजबूरी है किसानों की अन्यथा खेती ही नहीं करते. सभी जानते हैं कि एनपीके को पीपीएल डीएपी के बोरे में पैक करके बेचा जा रहा है. जिले में यूरिया की बराबर किल्लत ही रहा करती है. थोक विक्रेता रैक प्वाइंट से ही अधिक दर पर यूरिया बेच देते हैं. सूत्रों की माने तो यहां ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली खाद बनायी जा रही है. सुपौल से अन्य जगहों पर नकली खाद की खेप भेजी जाती है. लेकिन फर्टिलाइजर माफिया पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. हालांकि जिला कृषि पदाधकिारी प्रवीण कुमार झा कहते हैं कि किसानों द्वारा शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी.
थोक विक्रेताओं के यहां झांकिये हुजूर
नवंबर माह में गेहूं, मटर व जौ की बुआई होगी. जिले में बुआई शुरू होते ही खाद की कालाबाजारी शुरू हो जाती है. सरकारी दर पर खाद की उपलब्धता की बात तो दूर कालाबाजारी से खरीदी गयी खाद भी असली है या नकली इसकी भी जानकारी किसानों को नहीं है. बुआई का समय आते ही चारों ओर खाद के लिए हाहाकार मचनी शुरू हो जाती है. कहने को तो सरकार द्वारा खाद का रेट निर्धारित किया जाता है लेकिन वह निर्धारण तक ही सिमट कर रह जाता है. मतलब, उसका वास्तविक लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. स्थानीय किसानों का कहना है कि आयकर विभाग की टीम द्वारा सर्वेक्षण के बाद जहां आयकर वसूली होगी वहीं लाखों रुपये कर चोरी की पोल खुलने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
क्या कहते हैं किसान
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के कई व्यवसायी कर चोरी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन को निर्धारित दर पर खाद मुहैया कराने की दिशा में पहल करनी चाहिए. छनकर मिली जानकारी के मुताबिक, खुदरा खाद व्यापारियों से निर्धारित दर से अधिक लिया जाता है. वैसे, मेमो निर्धारित दर का ही दिया जाता है. कृषि विभाग के अधिकारी जब भी छापामारी करते हैं तो खुदरा खाद व्यवसायी के यहां करते हैं. बड़े थोक विक्रेताओं के यहां झांकते तक नहीं. मिली जानकारी के मुताबिक, थोक विक्रेताओं द्वारा अनाधिकृत गोदामों में भी कालाबाजारी के दृष्टिकोण से खाद का भंडारण किया जाता है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
नवटोल करिहो निवासी किसान सीताराम मंडल ने बताया कि किल्लत बताकर अधिक पैसे की उगाही की जाती है. जिसे ना तो काई रोकनेवाला है और ना ही टोकने वाला. कर्णपुर निवासी मिथिलेश कुमार झा ने बताया कि कालाबाजारी व तस्करी ने खाद का संकट पैदा कर दिया है. बताया गया कि कई थोक विक्रेता कहने को तो थोक विक्रेता की अनुज्ञप्ति लिए हुए हैं परंतु धड़ल्ले से खुदरा बिक्री करते हैं. जिससे खुदरा व्यापारियों में भी रोष देखा जा रहा है. बलहा निवासी भगवानजी ने बताया गया कि थोक विक्रेताओं द्वारा अनाधिकृत गोदामों में भी कालाबाजारी के दृष्टिकोण से खाद का भंडारण किया जाता है. थोक विक्रेता रैक प्वाइंट से ही अधिक दर पर माल बेच देते हैं. सूत्रों की माने तो सुपौल सहित अगल-बगल के गांवों में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली खाद बनाई जा रही है.
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