सुपौल : शक्ति की देवी की पूजा से पहले ही एक नवजात बच्ची को निर्दयी मां ने बांसबाड़ी में फेंक कर यह साबित कर दिया की आज भी बेटी बोझ से कम नहीं है. सदर थाना क्षेत्र के परसरमा गांव स्थित एक बांसबाड़ी में नवजात बच्ची मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. बताया गया है कि सोमवार को जब बांसबाड़ी के इर्द-गिर्द बंदरों का जमावड़ा देखा गया,
तो लोग उत्साहित होकर वहां पहुंचे और देखा कि एक बच्ची झाड़ी में लावारिस अवस्था में थी. जिसे एक महिला ने उठा कर स्थानीय वार्ड पंच अहिल्या देवी के हवाले कर दिया. वार्ड पंच द्वारा उक्त नवजात बच्ची को घर लाया गया, जहां उसका उपचार कराया गया. हालांकि यह भी कहा गया है कि इस बात की तत्क्षण सूचना जिला प्रशासन को भी दी गयी. जिसके बाद मंगलवार को सिविल सर्जन बिल्टू पासवान और बाल कल्याण समिति के सहायक निदेशक सुनील कुमार सिंह वार्ड पंच के घर पहुंचे और बच्ची का हाल जाना.
चूंकि बच्ची नवजात थी, लिहाजा सिविल सर्जन और बाल कल्याण समिति के निदेशक ने उक्त बच्ची को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान सहरसा को सुपुर्द कर दिया. इस दौरान बाल कल्याण जिला इकाई के भगवानजी पाठक भी मौजूद थे. चूंकि बच्ची का नामकरण भी करना जरूरी था. लिहाजा सिविल सर्जन श्री पासवान ने बच्ची का नाम अनामिका रख दिया. परसरमा के बांसबाड़ी स्थित झाड़ी मिली नवजात बच्ची की यह घटना कोई पहली नहीं है. कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो ज़्यादातर परिवारों में बेटियों के जन्म पर आज भी मायूसी रहती है. भले ही दिखावा कुछ और ही क्यों न हो. बेटी के जन्म पर बधाई देते हुए अक्सर लोग कहते हैं, मुबारक हो, लक्ष्मी आई है. लेकिन सच ये है कि धन रूपी लक्ष्मी आने पर सभी को खुशी होती है, लेकिन बेटी रूपी लक्ष्मी के आने पर सबके चेहरे का रंग उड़ जाता है और लोग उसे बोझ समझते हैं.