उत्साह. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को दिया गया अंतिम रूप
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तैयारी पूरी, विश्वकर्मा पूजा आज
उत्साह. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को दिया गया अंतिम रूप बाबा विश्वकर्मा की पूजा को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. इस अवसर पर जगह-जगह पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन होने हैं. सुपौल : देवशिल्पी विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण मानव जाति से लेकर देवों के बीच […]
बाबा विश्वकर्मा की पूजा को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. इस अवसर पर जगह-जगह पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन होने हैं.
सुपौल : देवशिल्पी विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण मानव जाति से लेकर देवों के बीच भी पूजे जाते हैं. बाबा विश्वकर्मा को वैदिक देवता के रूप में माना जाता है. पंडितों का मानना है कि बाबा विश्वकर्मा सृष्टि के प्रथम निर्माता माने जाते हैं. विष्णु पुराण के प्रथम अंश में विश्वकर्मा को देव-बढ़ई कहा गया है तथा भगवान के शिल्पावतार की संज्ञा दी गई है. जबकि शिल्प के ग्रंथों में वह सृष्टिकर्ता भी कहे गए हैं. भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कार्यों को देखा जाए तो इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमंडलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा ही किया गया है. पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है.
रविवार को विश्वकर्मा पूजा को लेकर तैयारी पूरे जोर-शोर से की जा रही है. पूजा को देखते हुए मूर्तिकार द्वारा प्रतिमा को अंतिम रूप दिया गया है. साथ ही कई जगहों पर भव्य पंडाल लगा कर प्रतिमा को पूजा के लिए स्थापित किया गया है. इधर मूर्ति कलाकार कैंप टोला निवासी सीताराम पंडित ने प्रभात खबर को बताया कि उनके पिछले तीन पीढ़ियों से यहां मूर्ति का निर्माण विभिन्न पर्वों में किया जाता रहा है.
मूर्तिकार श्री पंडित ने बताया कि महंगाई को देखते हुए मूर्ति का निर्माण करना अब साधारण नहीं रह गया है. खासकर करीब दस वर्षों से महंगाई को देखते हुए लोगों का सोच बदलते दिख रहा है. उधर बाजार में भी पूजा को देखते हुए दुकानें माला आदि कई सामग्रियों से की गई थी. साथ ही कई संस्थानों में इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है. कई विद्वानों का मानना है कि सच्चे हृदय से पूजा करने वालों की भगवान विश्वकर्मा सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
जगह-जगह हो रही है सृष्टि के शिल्पकार की पूजा
विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है. इस पूजा का काफी महत्व है. रविवार को विश्वकर्मा पूजा है. औद्योगिक क्षेत्र, फैक्ट्री, हार्डवेयर की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर आदि में विशेष रूप से बाबा विश्वकर्मा की पूजा की तैयारी की गई है. इस मौके पर जगह-जगह पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजन रखा गया है. कई चौक-चौराहों पर लोगों ने बाबा विश्वकर्मा की भव्य मूर्ति स्थापित कर पूजा की तैयारी की है. कई लोग अपने-अपने घरों में भी बाबा विश्वकर्मा की तस्वीर की पूजा करते हैं. बस स्टैंड स्थित विश्वकर्मा मंदिर सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों में पूजा की तैयारी पूरी कर ली गयी है.
कैसे हुई भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति
वैदिक ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में सर्वप्रथम नारायण अर्थात साक्षात विष्णु भगवान सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए. जहां उनकी नाभि-कमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई. ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म और धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए. कहा जाता है कि धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र थे. जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे. वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए. पिता की भांति विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने.
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