निर्मली : मुख्यालय स्थित निर्मली थाना को अनुमंडल स्तरीय थाना का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बाद भी इस थाना को सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है. लगभग पांच एकड़ में फैले इस थाना परिसर में न तो पुलिस कर्मियों के रहने के लिए आवास की सुविधा है और न ही इस थाने में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए आधुनिक वाहन की व्यवस्था. मालूम हो कि वर्ष 1969 में निर्मली थाना की स्थापना हुई. उस समय थाने में तो बुनियादी सुविधाओं का अभाव था ही, लेकिन चार दशक बीत जाने के बाद भी थाने का कमोबेश दयनीय स्थिति कायम है.
जर्जर भवन में चलता है थाना : थाना की स्थापना तकरीबन चार दशक पूर्व हुई. साथ ही अनुमंडल स्तरीय थाना बने 3 वर्ष होने के बाद भी थाना भवन जर्जर हाल में है. लगभग पांच एकड़ में फैले थाना परिसर में पुलिस कर्मियों के रहने के लिए आवास की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. थाना परिसर की जमीन सड़क से नीचे रहने के कारण हल्की बारिश में भी जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. थाना में पदस्थापित पुलिस कर्मियों को थाने से दूर भाड़े के मकान में रहना पड़ता है.
जब इन पुलिसकर्मियों को आवास तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो ऐसी स्थिति में पुलिस बल किस प्रकार अपराध पर नियंत्रण कर पायेंगे. बुनियादी सुविधाओं के तहत आवास की प्राथमिकता सबसे अहम है. इन पुलिस कर्मियों के लिए आवास की सुविधा न होना आलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता को दर्शाता है.