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खतरे में है नौनिहालों की जान

अनदेखी. बिना लाइसेंस वाले चालक चला रहे हैं स्कूली वाहन जिले की अधिकांश निजी विद्यालय प्रबंधन अधिक से अधिक मुनाफे की लालच में बिना लाइसेंस चालकों को बहाल कर विद्यालय का वाहन सौंप दे रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में नौनिहालों की जिंदगी पर हर समय खतरा मंडरा रहा होता है. सुपौल/ त्रिवेणीगंज : जिले भर […]

अनदेखी. बिना लाइसेंस वाले चालक चला रहे हैं स्कूली वाहन

जिले की अधिकांश निजी विद्यालय प्रबंधन अधिक से अधिक मुनाफे की लालच में बिना लाइसेंस चालकों को बहाल कर विद्यालय का वाहन सौंप दे रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में नौनिहालों की जिंदगी पर हर समय खतरा मंडरा रहा होता है.
सुपौल/ त्रिवेणीगंज : जिले भर में कई चालक बिना अनुज्ञप्ति के ही वाहनों का परिचालन कर रहे हैं. यहां तक कि अधिकांश निजी विद्यालय प्रबंधन भी अधिक से अधिक मुनाफे की लालच में बिना लाइसेंस चालकों को बहाल कर विद्यालय का वाहन सौंप दे रहे हैं. जिस कारण नौनिहालों की जिंदगी पर हर समय खतरा मंडरा रहा होता है. इसे परिवहन विभाग की उदासीनता कहें या फिर निजी विद्यालय प्रबंधन के साथ सांठगांठ. आखिरकार इसका खामियाजा बच्चों के बेहतर भविष्य की सपना पाले माता-पिता सहित नौनिहालों को ही भुगतना पड़ता है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले में छोटे-बड़े सैंकड़ों स्कूल वाहन पंजीकृत हैं.
इधर विभाग को स्कूल प्रबंधन का पूरा सहयोग मिल रहा है. जागरूकता के लिए विद्यालयों में कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं. प्रचार वाहन के जरिए छात्रों को यातायात के नियमों की जानकारी दी जाती रही है. हरेक वर्ष सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
बगैर लाइसेंस के परिचालित हो रहा स्कूली वाहन : गौरतलब हो कि जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड में संचालित कुछ ऐसे निजी विद्यालय को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है. निजी विद्यालय के वाहन चालक रौशन कुमार के पहचान पत्र पर जन्म तिथि 10 दिसंबर 1999 अंकित है. बावजूद इसके विद्यालय प्रबंधन द्वारा वाहन चालक की अनुमति प्रदान कर बच्चों को वाहन से विद्यालय पहुंचाने का कार्य लिया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा नौकरी के नाम पर नाबालिग की भरती कर लिया गया. साथ ही बगैर जांच-परख किये ही वाहन चालक का कमान सौंप दिया गया.
बताया कि परिवहन विभाग की परेशानी यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि गोरखधंधे के इस आड़ में वाहन का फर्जी मेंटेनेंस भी बना दिया जाता है. जिस कारण खराब व बेकार वाहन भी स्कूल प्रबंधन की मोटी कमाई का जरिया बना हुआ है.
लेकिन परिवहन विभाग के साथ साथ शिक्षा विभाग भी इन स्कूलों पर नकेल कसने में विफल साबित हो रहा है. एक साथ दो विभागों से जुड़ा मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. वैसे बगैर लाइसेंस के ड्राइविंग करते हुए पकड़े जाने पर पुलिस यदा-कदा मुहिम चला कर चालान काटती रही है. लेकिन तू डाल -डाल ,मैं पात-पात की कहावत चरितार्थ करते बिना लाइसेंस के चालक सड़कों पर वाहनों को बिना रोकटोक फर्राटे भरते रहे हैं. जो साबित कर रहा होता है कि इन्हें किसी नियम-कायदे व कानून की जरूरत ही नहीं. सबसे चौकाने वाली बात यह है कि त्रिवेणीगंज की सड़क पर नाबालिग लड़के बगैर लाइसेंस के वाहन ही नहीं चला रहे बल्कि इनके हाथ में दर्जनों नौनिहालों की जिंदगी भी टिकी है.
गंभीर समस्या के लिए अभिभावक भी दोषी : इस समस्या को लेकर अभिभावकों की लापरवाही को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. निजी विद्यालय द्वारा परिचालित आॅटो रिक्शा में बच्चों को बोरी की तरह ठूंस कर ले जाया जाता है. जो गाड़ियां चलने लायक नहीं हैं, उस पर शान की सवारी लिख दिया जाता है, जैसे किसी को कोई परवाह ही नहीं है. बड़े स्कूली वाहनों की स्थिति ऐसी बनी हुई है कि उसमें तो तिल रखने की जगह नहीं मिलती. जिस कारण दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं, लेकिन ना तो विभाग चेत रहा और ना ही स्कूल प्रबंधन. अभिभावक भी गंभीर नहीं होते और खटारा वाहनों में ही बच्चों को बैठा देते हैं. आलम यह है कि आॅटो रिक्शा और वैन वाले 15 से 20 बच्चे भर लेते हैं. जबकि एक ऑटो में कायदे से महज तीन सवारी बैठाने का प्रावधान है. रिक्शा पर भी खतरा मंडराता रहता है.
बोले पदाधिकारी
इस बाबत पूछे जाने पर मोटर यान निरीक्षक अनिल कुमार ने बताया कि स्कूल प्रबंधन को परिवहन नियम का अनुपालन करना चाहिए. साथ ही बिना अनुज्ञप्तिधारियों से वाहन का परिचालन नहीं कराना चाहिए. बताया कि विभाग के पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है. इस दिशा में वे स्वयं जांच कर समुचित कार्रवाई करेंगे.
मानक अनुरूप कराये वाहनों की जांच
जानकारों की माने तो 70 फीसदी दुर्घटना वाहन चालकों की वजह से होती है. 10 फीसदी वाहनों के तकनीकी खराबी जिम्मेवार ठहराया जा सकता है. जबकि पांच- पांच प्रतिशत साइकिल चालक व पांव-पैदल राहगीरों की वजह से दुर्घटना घटित होती है. साथ ही छह फीसदी दुर्घटना में खराब मौसम तथा चार फीसदी घटनाएं सड़कों की जर्जरता को माना जा सकता है. समस्या के बाबत अभिभावक दिलीप कुमार ने बताया कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा संचालित ऑटो और रिक्शा वाले बच्चों पर ध्यान नहीं देते. बताया कि अपने बच्चों को विद्यालय ऑटो से भेजते थे, लेकिन उसे बंद करा दिया. बताया कि एक तो समय की बरबादी और ऊपर से बच्चे के लिए हमेशा मन में एक डर बना हुआ था. अभिभावक हमीदउद्दीन अहमद ने कहा कि कई बार शिकायत दर्ज कराने के बाद विद्यालय प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरतते रहे हैं. मनमाने ढंग से स्कूल और वाहनों का संचालन किया जाता है. बताया कि विद्यालय प्रबंधन को सिर्फ शुल्क से मतलब है. जिस कारण हमेशा हादसा का डर बना रहता है. बताया कि अब अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा.
प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्र व फ‌र्स्ट एड बाॅक्स जरूरी
बसों की अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटे से अधिक नहीं
आरामदेह सीट, सेफ्टी बेल्ट और आर्मरेस्ट अनिवार्य है
स्कूल वाहनों का समय-समय पर चेकिंग अनिवार्य
प्रेशर हाॅर्न या टोनल साउंड सिस्टम पूरी तरह प्रतिबंधित
चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस व्यावसायिक होना अनिवार्य
बिना रजिस्ट्रेशन के एक भी वाहन नहीं चलाए जाएंगे

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