कुव्यवस्था. खून की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल का ब्लड बैंक, मरीज हो रहे परेशान
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खपत 50 यूनिट रोज, उपलब्ध महज 15 यूनिट
कुव्यवस्था. खून की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल का ब्लड बैंक, मरीज हो रहे परेशान ब्लड बैंक में खून की कमी होने से सक्रिय हुए सौदागर सीवान : दूसरों को खून मुहैया कराने वाला सदर अस्पताल का ब्लड बैंक इन दिनों खुद खून की कमी से जूझ रहा है. मरीज रोजना खून के लिए […]
ब्लड बैंक में खून की कमी होने से सक्रिय हुए सौदागर
सीवान : दूसरों को खून मुहैया कराने वाला सदर अस्पताल का ब्लड बैंक इन दिनों खुद खून की कमी से जूझ रहा है. मरीज रोजना खून के लिए ब्लड बैंक में पहुंच रहे हैं, परंतु कई ग्रुप का खून उपलब्ध नहीं होने के चलते उन्हें बैरंग लौटना पड़ रहा है. वहीं कई गंभीर मरीज के परिजन व उनके तिमारदार सदर अस्पताल में मंडराने वाले खून के सौदागारों के हत्थे चढ़ हलाल हो रहे हैं.
सौदागर खून के एवज में उनसे अच्छी रकम की वसूली कर जेबें खाली कर दे रहे हैं. इतना कुछ रोजाना होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. अस्पताल प्रबंधन न तो ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता की दिशा में कोई कदम उठा रहा है और न ही मरीज को लूटने वाले सौदागरों पर लगाम कसने की दिशा में कोई कार्रवाई कर रहा है. इससे मरीजों के परिजनों व उनके तिमारदारों में अस्पताल प्रशासन के विरुद्ध रोष व्याप्त है.
डोनरों के भरोसे रहते हैं मरीज : सदर अस्पताल का ब्लड बैंक कुव्यवस्था का शिकार हो गया है. ब्लड बैंक में डिमांड के अनुरूप खून की काफी कमी है. सबसे खास बात है कि कई ग्रुपों का खून ब्लड बैंक में उपलब्ध ही नहीं है. इससे मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में मात्र 15 यूनिट खून ब्लड बैंक में उपलब्ध है. इसमें पांच यूनिट ब्लड निगेटिव ग्रुप का है. निगेटिव ब्लड की मांग कम होने के कारण अधिकतर इस ग्रुप का ब्लड रखे-रखे खराब हो जाता है.
मुख्य ग्रुपों का ब्लड नहीं होने की स्थिति में जब मरीज के परिजन दो-तीन डोनरों को लेकर ब्लड बैंक में जांच कराने पहुंचते हैं, तो कहा जाता है कि यहां ग्रुप की जांच नहीं होगी. आपको बाहर से कराना पड़ेगा. रात में खून लेने पहुंचे मरीजों के परिजन अपना ग्रुप जांच कराने के लिए भटकते रहते हैं. जिले में प्रतिदिन करीब 40 से 50 यूनिट की खपत होती है.
इसमें से 25 यूनिट ब्लड की अापूर्ति जिले के दो ब्लड बैंकों से होती है, जबकि शेष ग्रुपों का ब्लड खून के सौदागरों द्वारा मोटी रकम ले मरीजों उपलब्ध कराया जाता है. सदर अस्पताल एवं इसके आसपास सौदागरों का जमघट लगा रहता है. स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से मरीजों के परिजन इनके पास पहुंचते हैं.
महत्वपूर्ण ग्रुपों का नहीं है ब्लड
तीन जून को लगेगा मेगा ब्लड डोनेशन कैंप
सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड की कमी हो गयी है. इसके लिए 03 जून को मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है. डॉक्टर की बहाली करने की फाइल जिलाधिकारी के पास विचाराधीन पड़ी है. जहां तक डोनरों के ब्लड ग्रुप जांच करने की बात है, तो ब्लड बैंक को जांच नहीं करना है. हमलोग निर्धारित मात्रा में जांच करने वाला केमिकल उपलब्ध कराते हैं.
डॉ अनिल कुमार सिंह, अध्यक्ष, भारतीय रेडक्राॅस सोसाइटी, सीवान
मेडिकल ऑफिसर का पद आठ साल से रिक्त
किसी भी ब्लड बैंक में मेडिकल ऑफिसर की उपस्थिति में ही डोनरों का खून निकालने का प्रावधान है. लेकिन मेडिकल आॅफिसर का पद आठ साल से रिक्त होने के कारण लैब टेक्नीशियन ही ब्लड निकालते हैं. ब्लड बैंक में चार लैब टेक्नीशियन हैं. एक रोस्टर में एक लैब टेक्नीशियन की ड्यूटी पड़ती है. ब्लड की जांच से लेकर ब्लड निकालने का काम टेक्नीशियन के जिम्मे है. ब्लड लेने के दौरान डोनर की हालत बिगड़ती है, तो स्थिति को नियंत्रित करना लैब टेक्नीशियन की क्षमता से बाहर का हो जाता है.
ब्लड लेने के लिए रूम होने के बावजूद डोनरों से रिसेप्शन कक्ष में ही जैसे-तैसे ब्लड निकाला जाता है.
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