थावे : होली गीत पर जब नृत्यांगना शालू श्रीवास्तव ने अपनी प्रस्तुति पेश की, तो महफिल थिरक उठी. दिल्ली से चल कर थावे महोत्सव में पहुंची शालू श्रीवास्तव ने मंगलवार की शाम एक से बढ़ कर एक नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का आगाज भजन जय जय राधे कृष्ण हरी से हुआ. जकिर अहमद के गाये […]
थावे : होली गीत पर जब नृत्यांगना शालू श्रीवास्तव ने अपनी प्रस्तुति पेश की, तो महफिल थिरक उठी. दिल्ली से चल कर थावे महोत्सव में पहुंची शालू श्रीवास्तव ने मंगलवार की शाम एक से बढ़ कर एक नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का आगाज भजन जय जय राधे कृष्ण हरी से हुआ. जकिर अहमद के गाये इस भजन पर जब शालू ने नृत्य किया,
तो भक्ति की समां बंध गयी. फिर कथक नृत्य के माध्यम से नृत्यांगना ने विलंबित लय थाट आमद, मध्य लय तिहाई तिहाई और गत निकास का भाव दर्शकों को आर्य चकित कर दिया. नृत्य के माध्यम से घूंघट में नारी की चाह बलखाती नागिन और द्रोपती चीर हरण की जब प्रस्तुति नृत्यांगना ने की, तो पंडाल तालियों से गूंज उठा.
होली नृत्य के दौरान नृत्यांगना ने विलुप्त होते पखावज की धुन पर भी प्रस्तुति की. प्रेसवार्ता के दौरान कथक नृत्यांगना शालू ने बताया कि बचपन से ही वह कथक नृत्य सीख और कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कथक भारतीय संस्कृति की धरोहर है. वर्तमान की युवा पीढ़ी इसके प्रति आकृष्ट है. हम कलाकारों को अपनी कला के माध्यम से प्रयास है कि हमारी संस्कृति बुलंदियों के बीच हमेशा जीवंत रहे.