चिंताजनक. सीवान जंकशन के पेयजल की जांच में क्लोरिन की मात्रा मिली शून्य
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दूषित पेयजल की हो रही आपूर्ति
चिंताजनक. सीवान जंकशन के पेयजल की जांच में क्लोरिन की मात्रा मिली शून्य सीवान : सीवान जंकशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाये गये पेयजल के नलों से निकलने वाले पानी में क्लोरिन की मात्रा शून्य है. इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब शनिवार को वरिष्ठ मंडल रेल चिकित्सा पदाधिकारी डॉ केशव […]
सीवान : सीवान जंकशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाये गये पेयजल के नलों से निकलने वाले पानी में क्लोरिन की मात्रा शून्य है. इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब शनिवार को वरिष्ठ मंडल रेल चिकित्सा पदाधिकारी डॉ केशव कुमार ने स्वयं जांच की. पीने के पानी में क्लोरिन की मात्रा कम होने की यह बात एक दिन की नहीं है. आये दिन जांच में क्लोरिन की मात्रा शून्य मिलती है. रेल के मापदंड के अनुसार पीने के पानी में 0.2 से 0.5 बीपीएम क्लोरिन की मात्रा होनी चाहिए. पीने के पानी में क्लोरिन पानी के अंदर के एंबीयोसीस जैसे बैक्टिरिया को खत्म कर पानी का शुद्धीकरण कर देता है. इससे पेचिस व डायरिया जैसे संक्रामक बीमारी होने का खतरा नहीं रहता है.
ठेका नहीं होने से पांच सालों से बंद है क्लोरेशन प्लांट : पीने के पानी का शुद्धीकरण करने के लिए रेल द्वारा सीवान जंकशन पर दो क्लोरेशन प्लांट लगाये गये हैं. इंजीनियरिंग विभाग द्वारा इस प्लांट को चलाने के लिए ठेका नहीं किये जाने से करीब पांच सालों से क्लोरेशन प्लांट बंद है. क्लोरेशन प्लांट नहीं चलने से इंजीनियरिंग विभाग द्वारा मैनुअली ब्लीचिंग पाउडर पानी की टंकियों में अपने मरजी से डाला जाता है.
नियमानुसार दिन में करीब तीन बार ब्लीचिंग पाउडर को दस लीटर पानी के घोल में मिक्स कर तीन बार छानने के बाद टंकियों में मिलाना है. इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी यह काम करते हैं. लेकिन समय के अनुसार हमेशा पानी में ब्लीचिंग पाउडर का घोल नहीं मिलाते हैं. इससे जांच में क्लोरिन की मात्रा आये दिन शून्य मिलती है.
रेल के मापदंड के अनुसार यात्रियों को पीने लायक नहीं है यह पानी
ठेका नहीं होने से पांच सालों से बंद है सीवान जंकशन का क्लोरेशन प्लांट
पेयजल में 0.2 से 0.5 बीपीएम तक होनी चाहिए क्लोरिन की मात्रा
विभाग नहीं डालता टंकियों में क्लोरिन
मापदंड के अनुसार नहीं रहती क्लोरिन की मात्रा
पानी की जांच की, तो क्लोरिन की मात्रा शून्य मिली. पानी में क्लोरिन की मात्रा 0.2 से 0.5 बीपीएम होनी चाहिए. गरमी व बाढ़ के दिनों में 0.1 से 0.5 बीपीएम तक यह मात्रा होनी चाहिए. यह एक दिन की बात नहीं है. अक्सर जांच में पानी में क्लोरिन की मात्रा शून्य मिलती है.
डॉ केशव कुमार, वरीय मंडल रेल मेडल चिकित्सा पदाधिकारी, सीवान जंकशन
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