सीवान : मो. शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट के तिहाड़ जेल भेजने के आदेश के बाद एक बार फिर पूर्व सांसद चर्चा में हैं. आमतौर पर लोगों की जुबान पर पिछले ढाई दशक की मो. शहाबुद्दीन की कारगुजारियों का किस्सा सुनाई पड़ रही है. इसमें उनके पक्ष व विपक्ष के अलग-अलग बयान हैं. लेकिन, एक सवाल पर एकरूपता है
कि शहाबुद्दीन ने अपराध से लेकर विकास के सफर में लंबी लकीरें खींचने का काम किया है. इसके चलते उनसे नाखुश लोगों की अच्छी तादाद है, तो उनके चहेते भी कम नहीं है. मो. शहाबुद्दीन को मूल नाम से कम आदर सूचक शब्द ‘साहेब’ के नाम से ज्यादा जाना जाता है. राजनीति में एमए और पीएचडी करने वाले शहाबुद्दीन ने छात्र जीवन से ही अपराध और राजनीति की दुनिया में कदम रखा. कुछ ही वर्षों में अपराध और राजनीति में काफी नाम कमाया.
अस्सी के दशक में शहाबुद्दीन का नाम पहली बार एक आपराधिक मामले में सामने आया.1986 में पहला आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद तो उनके नाम के साथ कई आपराधिक मुकदमे लिखे गये. छोटी-सी उम्र में ही अपराध की दुनिया में शहाबुद्दीन एक बड़ा नाम बन गया. जेल में रहते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप कांग्रेस के कद्दावर नेता डाॅ त्रिभुवन सिंह को 1990 में जीरादेई से विधानसभा चुनाव में हरा कर राजनीति में प्रवेश किया. जल्द ही जनता दल की युवा इकाई का हिस्सा बन गये.
1995 में जीरादेई से ही जनता दल के टिकट पर फिर एक बार चुनाव जीते. इस दौरान कद और बढ़ गया. पार्टी ने 1996 में उन्हें लोकसभा का टिकट दिया और मो. शहाबुद्दीन की जीत हुई. इसके बाद वर्ष 1999 में भाकपा माले के सदस्य का अपहरण करने के आरोप में पूर्व सांसद गिरफ्तार हो गये. लेकिन अस्वस्थ होने के कारण सदर अस्पताल में भरती रहे, जहां रहते हुए वर्ष 2004 के चुनाव में तीन लाख के अंतर से जदयू के उम्मीदवार को हरा कर विजयी हुए. अदालत ने 2009 में शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. इस पर उनकी पत्नी हीना शहाब चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद से पूर्व सांसद जेल में हैं.
राजद में शामिल होकर राजनीतिक सफर शुरू करनेवाले शहाबुद्दीन के दो बार विधायक व चार बार सांसद के रूप में गुजरे संसदीय कार्यकाल की अब भी चर्चा होती है. साहेब के नाम से मशहूर मो. शहाबुद्दीन के जीवन का एक दूसरा पहलू भी है. शहर में जो विकास दिखता है, उनमें अधिकांश कार्य मो. शहाबुद्दीन के कार्यकाल में ही हुए हैं.
उनके समय में राज्य के अन्य शहरों की तुलना में सीवान का तेजी से विकास हुआ. शहर में अच्छी सड़कें ,बड़ी-बड़ी लाइटें, स्टेशन का सौंदर्यीकरण, शहर में उच्चकोटि के सुसज्जित इंडोर स्टेडियम, आउट डोर खेल के लिए राजेंद्र स्टेडियम, सीवान इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना, इस्लामिया कॉलेज, आर्य कन्या गर्ल्स स्कूल, आयुर्वेदिक कॉलेज में कई कमरों का निर्माण, सदर अस्पताल के अधिकांश भवन तथा रेड क्रॉस के विशाल भवन निर्माण का श्रेय जाता है.