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118 एकड़ जमीन को लेकर जारी है जंग

पचरुखी/सीवान : पचरुखी की चीनी मिल की बंदी के 40 साल बाद एक बार फिर जमीन पर वर्चस्व को लेकर जंग शुरू हो गया है. मिल की तकरीबन 118 एकड़ जमीन पर कुछ लोगों की निगाहें टिकी हैं, जो जमीन पर कब्जा जमाने के लिए विभिन्न तरह का हथकंडा अपना रहे हैं. इस बीच दो […]

पचरुखी/सीवान : पचरुखी की चीनी मिल की बंदी के 40 साल बाद एक बार फिर जमीन पर वर्चस्व को लेकर जंग शुरू हो गया है. मिल की तकरीबन 118 एकड़ जमीन पर कुछ लोगों की निगाहें टिकी हैं, जो जमीन पर कब्जा जमाने के लिए विभिन्न तरह का हथकंडा अपना रहे हैं. इस बीच दो चिकित्सकों की नीलामी की प्रक्रिया के तहत जमीन बैनामा कराने के बाद अचानक यहां मामले ने तूल पकड़ लिया. इसके चलते अब चर्चा इस बात की भी है कि शासन अब इसमें हस्तक्षेप कर वहां कोई निर्माण शुरू करायेगा.
जिले की पचरुखी में वर्ष 1966 में चीनी मिल ने उत्पादन शुरू कर दिया था. 118 एकड़ की जमीन पर मिल चालू होने के एक दशक बाद ही बंद हो गया. कहा जाता है कि रखरखाव में लापरवाही के चलते मिल के घाटे में चलने के कारण प्रबंधन ने चीनी मिल को बंद करने का निर्णय लिया. इसके बाद से मिल की संपत्ति नीलाम होती गयी. अब यहां मात्र पहचान के रूप में जमीन ही शेष रह गयी है. इसके साथ ही मिल की चिमनी उसकी यादों की निशानी है. सेंट्रल बैंक, पचरुखी के द्वारा मिल को 80 लाख रुपये का लोन दिया गया था.
इसका भुगतान नहीं होने पर बैंक प्रबंधन का दावा है कि जमीन को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की गयी. डॉक्टर नवल किशोर पांडे व डाॅक्टर विक्रम सिंह चौहान द्वारा उक्त भूमि में से ही कुछ हिस्सा नीलामी के द्वारा हासिल किये जाने की बात कही जाती है. इसी जमीन पर कब्जा लेने के दौरान विधायक श्याम बहादुर सिंह के समर्थकों ने मौके पर जाकर विरोध जताया. इस मामले में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी है. विधायक श्याम बहादुर सिंह की दलील है कि ये जमीन किसानों की है.
ऐसे में किसानों की जमीन पर अन्य किसी के द्वारा कब्जा करने की कोशिश को हम पूरा नहीं होने देंगे. उधर, इसको लेकर चीनी मिल भूमि बचाओ संघर्ष समिति आंदोलनरत है. इसकी अगुआई कर रहे धर्मेंद्र सिंह पटेल यहां इंजीनियरिंग कॉलेज या अन्य संस्थान खोलने की मांग कर रहे हैं. इन विवादों के बीच दोनों डॉक्टरों की जमीन बैनामा कराने के बाद दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को लेकर भी राजस्व विभाग शिथिल पड़ा हुआ है. अंचलाधिकारी गिन्नी लाल प्रसाद कहते हैं कि जमीन पर मालिकाना हक पूर्व से मिल का है.
इसके द्वारा ही चिकित्सकों ने बैनामा कराया है. दाखिल खारिज के लिए डीएम से मार्गदर्शन मांगा गया है. इस पर डीएम ने शासन को पत्र लिखा है. शासन के आदेश पर आगे की कार्रवाई होगी. इस बीच भाकपा माले भी इसको लेकर आंदोलन का एलान कर चुकी है. पार्टी की यहां चीनी मिल या अन्य सार्वजनिक उपक्रम स्थापित करने की मांग है. ऐसे में अभी जमीन पर मामला और गरमाने की उम्मीद है.

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