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मृत पिता के नाम पर लिया लोन

फर्जीवाड़ा. जालसाज बेटा, गारंटर व फाइनेंस कंपनी के कर्मियों पर मामला दर्ज जालसाजी कर बनाया नो ड्यूज, वाहन कराया स्थानांतरित सीवान : फर्जीवाड़ा कर पहले अपने मृत पिता के नाम पर वाहन लोन कराया, फिर जालसाजी कर फर्जी लेटर पैड पर नो ड्यूज सर्टिफिकेट तैयार कर परिवहन कार्यालय से वाहन को अन्य के नाम से […]

फर्जीवाड़ा. जालसाज बेटा, गारंटर व फाइनेंस कंपनी के कर्मियों पर मामला दर्ज
जालसाजी कर बनाया नो ड्यूज, वाहन कराया स्थानांतरित
सीवान : फर्जीवाड़ा कर पहले अपने मृत पिता के नाम पर वाहन लोन कराया, फिर जालसाजी कर फर्जी लेटर पैड पर नो ड्यूज सर्टिफिकेट तैयार कर परिवहन कार्यालय से वाहन को अन्य के नाम से स्थानांतरित करा दिया. इसका खुलासा तब हुआ, जब वाहन के मालिक ने कुछ दिनों तक ऋण किस्त चुकाने के बाद भुगतान को रोक दिया.
जब लोन देनेवाली कंपनी ने पता किया, तो जानकारी हुई कि जिसके नाम पर लोन कराया गया है, उसकी मौत तो 10 वर्ष पूर्व ही हो चुकी है. इसके बाद कंपनी के शाखा प्रबंधक ने नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी.
10 साल पहले हो चुकी थी पिता की मौत : महाराजगंज थाने के भिखाबांध सतजोड़ा निवासी ललन यादव के नाम पर महिंद्रा फाइनेंस कंपनी से 5.60 लाख लोन कराया और बोलेरो की खरीदारी की गयी. इसका रजिस्ट्रेशन नंबर बीआर 29 पीए 0596 है. बताया जाता है कि ललन यादव की मौत करीब 10 वर्ष पूर्व ही हो चुकी है.
उसके बेटे हरीश यादव ने फर्जीवाड़ा कर अपने पिता के नाम से लोन कराया. हरीश को-ब्रोवर बना है तथा गारंटर के रूप में दरौंदा के रामचंद्रपुर निवासी पारसनाथ पटेल का नाम अंकित है.
इतना ही नहीं, जिला परिवहन कार्यालय से कंपनी के फर्जी लेटर पैड पर नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेकर वाहन का स्थानांतरण भी पश्चिम चंपारण के खजुरिया थाने के रामपुर निवासी रामानुज भगत के नाम से करा दिया गया है. महिंद्रा फाइनेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक राजीव कुमार सिंह के बयान पर हरीश यादव, नितेश पटेल व कंपनी के कर्मी सुजीत सिंह, अरविंद सिंह व नीतीश कुमार व अन्य को अारोपित किया गया है. कंपनी के कर्मियों की जांच के आधार पर ही उक्त ऋण दिया गया है.
लोन लेकर दूसरे के हाथों बेच दी बोलेरो
अन्य कर्मियों की भूमिका की भी होगी जांच
नगर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस जांच और कार्रवाई में जुटी है. प्राथमिकी में शामिल कंपनी के कर्मियों के अतिरिक्त अन्य कर्मियों की भी भूमिका की जांच की जा रही है. साथ ही डीटीओ कार्यालय की भूमिका की भी जांच की जा रही है. अभी वाहन खरीदनेवाले पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. उससे संपर्क कर पता किया जायेगा कि उसने कितने पैसे में वाहन खरीदा है. अगर इसमें उसकी संदिग्ध भूमिका दिखेगी, तो उस पर भी कार्रवाई की जायेगी.

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