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मरीजों की शुरू हुई फिजिकल जांच

गर्भाशय मामला. मेडिकल बोर्ड संदेहास्पद ऑपरेशन की जांच में जुटा, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई तय इसके पहले प्रभारी मेडिकल ऑफिसरों ने करीब 125 ऑपरेशनों पर उठायी थी उंगली जिले के आठ निजी अस्पतालों द्वारा किये गये 647 गर्भाशय ऑपरेशन हैं जांच के घेरे में सीवान : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सख्त होने के बाद राष्ट्रीय […]

गर्भाशय मामला. मेडिकल बोर्ड संदेहास्पद ऑपरेशन की जांच में जुटा, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई तय

इसके पहले प्रभारी मेडिकल ऑफिसरों ने करीब 125 ऑपरेशनों पर उठायी थी उंगली
जिले के आठ निजी अस्पतालों द्वारा किये गये 647 गर्भाशय ऑपरेशन हैं जांच के घेरे में
सीवान : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सख्त होने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब महिलाओं के वर्ष 2011-12 में हुए गर्भाशय ऑपरेशनों की जांच में तेजी आयी है. जिले के करीब आठ निजी अस्पतालों ने 2011-12 में करीब 647 महिलाओं के गर्भाशय का ऑपरेशन किया था. मानवाधिकार आयोग ने वर्ष 2012 में ही जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश विभाग को दिया था.
लेकिन, यह मामला करीब तीन सालों तक विभाग की फाइलों में दबा रहा. विभाग के निर्देश पर जिले के सभी पीएचसी व रेफरल अस्पतालों के मेडिकल ऑफिसरों ने 647 गर्भाशय के ऑपरेशनों की जांच कर करीब 170 ऑपरेशन पर अंगुली उठाई थी. प्रभारी मेडिकल ऑफिसरों की जांच के आधार पर ही वसंतपुर के राजमहल लाइफ केयर नर्सिंग होम द्वारा किये गये गर्भाशय के 10 ऑपरेशन को बिना जरूरत के किया गया ऑपरेशन बताया गया. इस मामले में वसंतपुर थाने में विभाग ने एफआइआर दर्ज करायी.
टीम कर रही रेकॉर्ड का अध्ययन : पीएचसी व रेफरल अस्पताल के प्रभारियों द्वारा किये गये गर्भाशय मामले की जांच पर निजी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा उंगली उठाये जाने के बाद विभाग ने तीन डॉक्टरों की एक टीम गठित कर मरीजों की फिजिकल जांच करा रहा है. मेडिकल बोर्ड में सर्जन डॉ मुकेश कुमार, डॉ सुनील कुमार सिंह व लेडीज डॉक्टर डाॅ सरिता शामिल हैं. करीब दो दिनों से शुरू हुए दोबारा जांच में करीब 37 मरीजों का टीम ने गांव-गांव घूम कर मरीजों का फिजिकल वेरिफिकेशन कर मरीजों को चेकअप के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया.
जिन महिलाओं के गर्भाशय का ऑपरेशन हुआ है. इनके रिकॉर्ड का टीम अध्ययन कर रही है. उसके बाद सभी महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करा कर रही है. इसके अलावे मरीजों के बयान भी दर्ज किये जा रहे हैं कि उनका ऑपरेशन कही जबरदस्ती तो नहीं किया गया है. इसके अलावा उनके अंगूठे का निशान भी मिलान के लिए लिया जा रहा है. गुरुवार को करीब 15 महिलाओं का अल्ट्रासाउंड सदर अस्पताल में कराया गया.
फर्जी नाम व पते पर स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए दोषी कौन?
राष्ट्रीय सवास्थ्य बीमा योजना के तहत हुए गर्भाशय ऑपरेशन घोटाले में डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के संकेत दिये जाने के बाद निजी अस्पतालों के संचालकों के बीच हड़कंप मच गया है. लेकिन जांच के दौरान अधिकतर मामले ऐसे मिले हैं, जिनमें कार्ड पर दिये गये नाम व पते पर मरीज उपस्थित नहीं हैं.
बुद्धिजीवियों का कहना है कि ऐसे मामलों में डॉक्टरों पर कार्रवाई करने की बात बेमानी लग रही है. अभी तक जितनी भी जांच हुई है, उनमें न तो बीमा कंपनी और न स्वास्थ्य कार्ड व बीपीएल सूची बनानेवाली एंजेंसी को जांच के दायरे में लाया गया है. ऑपरेशन में कोई डॉक्टर ने गलत कार्य किया है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, अन्य जो जांच के घेरे से बाहर हैं. उन्हें भी जांच के दायरे में लाना चाहिए.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन डॉ शिवचंद्र झा
वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हुए गर्भाशय के ऑपरेशनों की तीन डॉक्टरों की मेडिकल बोर्ड वृहद जांच कर रही है. जांच टीम एक-एक बिंदु पर बड़ी सूक्ष्मता से जांच कर रही है. जांच पूरी होने के बाद पुख्ता सबूत मिलने पर संबंधित निजी अस्पतालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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