परेशानी. नप क्षेत्र में बसपड़ाव व स्टैंडों पर नहीं है बुनियादी इंतजाम
लू के थपेड़ों में घंटों खड़ा होकर वाहन का इंतजार करते हैं मुसाफिर
इसे विडंबना ही कहेंगे कि हर साल पौने दो करोड़ रुपये सिर्फ बस स्टैंड के नाम पर कमानेवाली सीवान नगर पर्षद यात्रियों को बस स्टैंडों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में असफल है. इसे दुर्भाग्य कहेंगे कि बस स्टैंड पर शुद्ध पेयजल तक का इंतजाम भी नहीं है. मुसाफिर के लिए शेड की भी व्यवस्था नहीं है. जर्जर हो चुका शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं रह गया है.
सीवान : नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का डंका पीटने वाली नगर पर्षद को शायद मुसाफिरों की सुधी लेने का फुरसत नहीं है. लू के थपेड़ों में घंटों वाहन का इंतजार करते लोग शहर के स्टैंड पर नजर आते हैं. इनके लिए वहां न तो पेयजल का ठोस इंतजाम है और न ही बैठने का. मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष स्टैंड के नाम पर विभाग को पौने दो करोड़ की सीधी आय है. इसके बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए हर दिन मुसाफिर जूझते हैं.
सात स्टैंडों के लिए नहीं होता है ठेका : नगर पर्षद प्रशासन का दावा है कि मेरा स्टैंड एक मात्र मौलाना मजहरुल हक बस स्टैंड है.
ऐसे में इसके अलावा अन्य सात स्थानों पर चलनेवाले स्टैंड को तो धरातल पर अवैध ही माना जायेगा. दबे जुबान विभाग की इस स्वीकारोक्ति से साफ है कि बबुनिया मोड़, तरवारा मोड़, बड़हरिया मोड़, सिसवन ढाला, आंदर ढाला, कचहरी ढाला, गोपालगंज मोड़ स्टैंड पर कोई भी यात्री सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती है. इस कारण लोगों को यहां बैठने के इंतजाम तथा पेयजल व्यवस्था नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सिसवन स्टैंड की जमीन पर बन गयी दुकान : नगर पर्षद के द्वारा प्रत्येक वर्ष मौलाना मजहरूल हक बस स्टैंड के अलावा सिसवन स्टैंड की भी नीलामी होती थी. अब उसकी नीलामी मौजूदा वित्तीय वर्ष से बंद हो गयी है. इसके पीछे यहां नगर पर्षद की दुकानों का निर्माण कर देने को कारण बताया जा रहा है. नगर पर्षद ने दुकान निर्माण के बाद से अब यहां के स्टैंड के टेंडर की प्रक्रिया को रोक दिया. इसके बाद भी यहां अवैध रूप से स्टैंड संचालित है. लेकिन यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है.