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बीमा व बैंक की शिकायतें अधिक
उपभोक्ता फोरम में डेढ़ वर्ष में आये 469 मामले, निबटाये गये मात्र 35 उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए स्थापित जिला उपभोक्ता फोरम जागरूकता के अभाव में अपनी भूमिका से कोसों दूर नजर आ रहा है. इसके चलते शासन की उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी पर रोक लगाने की कोशिश पूरी होती नजर नहीं […]
उपभोक्ता फोरम में डेढ़ वर्ष में आये 469 मामले, निबटाये गये मात्र 35
उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए स्थापित जिला उपभोक्ता फोरम जागरूकता के अभाव में अपनी भूमिका से कोसों दूर नजर आ रहा है. इसके चलते शासन की उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी पर रोक लगाने की कोशिश पूरी होती नजर नहीं आ रही है.
सीवान : जिला उपभोक्ता फोरम खुद संसाधन की कमी ङोल रहा है. आधा दर्जन लिपिक के पद स्वीकृत हैं,जिसमें से सभी खाली हैं. यही हाल चतुर्थ श्रेणी के पदों का भी है.स्वीकृत चार पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं.
खास बात यह है कि एक दशक पूर्व फोरम को कंप्यूटरीकृत करने के लिए चार कंप्यूटर दिये गये, लेकिन इसके साथ ही ऑपरेटर बहाल नहीं हुए, जिसके चलते कंप्यूटर धूल फांकते रहे. बाद में तीन तकनीकी सहायकों की दो वर्ष पूर्व यहां तैनाती हुई.
इसके पहले ही उपलब्ध कराये गये कंप्यूटर खराब हो गये. ऐसे में तकनीकी सहायक अपने मूल कार्य के बजाय अन्य कार्यो को निबटा रहे हैं.
डेढ़ वर्ष में 35 मामलों में हुआ अर्थदंड : जिला उपभोक्ता फोरम में डेढ़ वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो कुल 469 शिकायती आवेदन आये, जिनमें से 76 मामले साक्ष्यों के अभाव में खारिज हो गये, जबकि 35 आवेदनों में उपभोक्ता की शिकायतों के आधार पर अर्थदंड लगाया गया.ऐसे में अब भी 358 आवेदन लंबित हैं.जिन पर अभी साक्ष्य व सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है.
सबसे अधिक बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायत : उपभोक्ता फोरम में आनेवाली शिकायतों में सबसे अधिक बीमा कंपनी व बैंकों से जुड़ी शिकायत हैं.अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक विद्युत विभाग से जुड़ी संख्या इसके बाद सबसे अधिक है. इसके अलावा फाइनांस कंपनी, भविष्य निधि संगठन, डाकघर से जुड़े मामले हैं. खास बात यह है कि रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ता आये दिन ठगी के शिकार होते हैं, जिसमें प्रोडक्ट की क्वालिटी को लेकर सबसे अधिक सवाल खड़े होते हैं. इनमें खाद्य सामग्री से लेकर सौंदर्य प्रसाधन, बिल्डिंग मैटेरियल तक के सामान शामिल हैं.
प्रोडक्ट का बिल न मिलने से होती है सर्वाधिक परेशानी : उपभोक्ताओं को हर वस्तु की खरीद पर दुकानदार द्वारा हर हाल में रसीद देना होता है.जबकि हाल यह है कि दुकानदारों के खिलाफ उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि खरीद की रसीद नहीं देते हैं.बिल के बजाय कैश मेमो तथा कुछ दुकानदार कच्ची रसीद देते हैं,जिसके चलते फोरम में सुनवाई के दौरान उनका साक्ष्य कमजोर हो जाता है.
ऐसे होगा उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण
सामान की खरीदारी के समय लें पक्की रसीद.
गारंटी व वारंटी की असलियत को परख कर करें खरीदारी.
फोरम में सादे कागज पर दिया जाता है आवेदन.
अधिवक्ता के बजाय उपभोक्ता स्वयं भी कर सकते हैं वाद दायर.
शपथ पत्र के साथ ही नुकसान के अनुसार अदा करना पड़ता है शुल्क.
जिला उपभोक्ता फोरम से खारिज होने पर राज्य फोरम में कर सकते हैं अपील.
जुर्माने की धनराशि दो माह के अंदर न देने पर होती है दंडात्मक कार्रवाई.
सेंट्रल बैंक पर फोरम ने लगाया जुर्माना
सीवान.जिला उपभोक्ता फोरम ने सेंट्रल बैंक की पचरुखी शाखा के खिलाफ 15 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. बैंक पदाधिकारी के द्वारा ग्राहक के खाते से 89 हजार रुपये गड़बड़ी कर निकाल लेने के मामले में यह कार्रवाई की गयी है.पचरुखी थाने के सादिकपुर गांव के नथुनी सिंह ने बैंक में 89 हजार रुपये जमा किये थे.नथुनी के मुताबिक जालसाजी कर मेरी जानकारी के बिना कर्मचारियों ने संपूर्ण धनराशि निकाल ली.
इसकी शिकायत पर बैंक ने सुनवाई करने के बजाय मेरी पासबुक पर निकासी की धनराशि हाथों से लिख कर दरसा दिया.उपभोक्ता फोरम में इसके खिलाफ नथुनी ने शिकायत की.शिकायत के दौरान ही नथुनी की मौत हो गयी, जिस पर आवेदन खारिज हो गया.
इस पर नथुनी की बेटी अंजोरी देवी ने बाद में एक बार फिर फोरम में वाद दायर किया.जांच के दौरान नथुनी के खाते से निकाली गयी धनराशि के दौरान किये गये हस्ताक्षर का मिलान किया गया,जो नथुनी के हस्ताक्षर से मेल नहीं किया.
इस पर फोरम ने शिकायत को सही मानते हुए संपूर्ण धनराशि के साथ ही आठ प्रतिशत ब्याज,10 हजार रुपये आर्थिक व मानसिक क्षति तथा पांच हजार रुपये मुकदमे के खर्च के नाम पर भुगतान करने का निर्देश दिया है.दो माह के अंदर बैंक को दंड की राशि का भुगतान करने को कहा गया है.
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