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गोलीबारी में दो पर मामला दर्ज

असांव : आंदर हाइ स्कूल के सटे नहर के समीप अपराधियों ने पवन पाठक पर गोलीबारी की, जिससे वे बाल-बाल बच गये. गोलीबारी में अपराधियों की एक बाइक घटना स्थल पर ही छूट गयी, जिससे आंदर पुलिस ने बरामद किया. इस संबंध में पीड़ित आंदर के बरवां निवासी पवन पाठक उर्फ झोंटा वाले बाबा ने […]

असांव : आंदर हाइ स्कूल के सटे नहर के समीप अपराधियों ने पवन पाठक पर गोलीबारी की, जिससे वे बाल-बाल बच गये. गोलीबारी में अपराधियों की एक बाइक घटना स्थल पर ही छूट गयी, जिससे आंदर पुलिस ने बरामद किया.
इस संबंध में पीड़ित आंदर के बरवां निवासी पवन पाठक उर्फ झोंटा वाले बाबा ने आंदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा है कि वे गुरुवार की रात आंदर से अपने गांव लौट रहे थे.
अचानक दो बाइक सवार चार लोग आये और फायरिंग करने लगे. इस मामले में आंदर थाने के घेराई गांव निवासी सोनू दूबे, मोनू दूबे व दो अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. थानाध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. आरोपितों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
सीवान : शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित पपौर गांव के टीले का उत्खनन गुरुवार से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने शुरू कर दिया है. अभी करीब दो फुट की ही हुई खुदाई में विभिन्न काल के कई रंगों में पॉट्री मिलने शुरू हो गये हैं.
टीम में शामिल विशेषज्ञ जमीन के अंदर से निकले अवशेषों की पहले पानी से सफाई कर रहे हैं. पॉट्री के टुकड़े कई रंगों में हैं. इनके मिलने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल है. कर्मचारियों ने बताया कि विभाग के अधिकारी ही बतायेंगे कि उत्खनन में मिलने वाले पॉट्री के टुकड़े किस काल के हैं.
पपौर के संबंध में प्राचीन लोक कथाओं की सत्यता का चलेगा पता : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने गुरुवार से पपौर के टीले का उत्खनन का कार्य प्रारंभ कर दिया है.उत्खनन के बाद इस बात का खुलासा होगा कि भगवान बुद्ध और पपौर गांव के बीच किस प्रकार के संबंध थे. प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार भगवान बुद्ध भोग नगर से चल कर पावा (पपौर)पहुंचे तथा चुंद नामक सोनार के आम्रवन में ठहरे. चुंद ने भगवान बुद्ध को भोजन पर आमंत्रित किया.भोजन करने के बाद भगवान बुद्ध की तबीयत खराब हो गयी.
उन्हें खूनी पेचिस हो गया. पपौर को सर्वप्रथम अंगरेज विद्वान होय ने प्रकाश में लाया.डॉ होय ने पपौर को पावा का ही बिगड़ा रूप माना है. उन्होंने अपनी यात्र के दौरान यहां से तांबे के इंडो बैक्ट्रियन सिक्कों को भी खोजा था. संगीत सूत्र के अनुसार जब बुद्ध पावा में ठहरे थे, तो उस समय मल्लों ने अपने लिए उष्भटक को तैयार किया था और बुद्ध को उसमें ठहरने के लिए आमंत्रित किया.भगवान बुद्ध ने उनके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए उस रात धर्मोपदेश किया.
भगवान बुद्ध के निर्वाण स्थल के संबंध में इतिहाकारों में है मतभेद : भगवान बुद्ध को निर्वाण कहां प्राप्त हुआ था? यह सवाल लंबे समय से अनुत्तरित है. इस संबंध में इतिहासकार और पुरातत्वविद् चुप हैं.
इतिहासकार डॉ जगदीश्वर पांडेय ने अपनी पुस्तक बुद्ध के यात्र पथ की खोज में लिखा है कि फाहियान और हृवेनसांग के यात्र वृतांतों में वर्णित भूगोल का दर्शन न तो कसया (उत्तर प्रदेश) में हो सका और ने कांटी (मुजफ्फरपुर) में हीं. डॉ पांडेय के अनुसार त्रिपिटक के वृतांत,फाहियान व हृवनेसांग की आंखन देखी और कनिंघम से अब तक की तलाश का निष्कर्ष इस कड़ी में सीवान का नाम जोड़ता है.
पपौर(पावा) से चल कर बुद्ध कुकुत्था नदी (दाहा)को पार आगे बढ़े. वर्तमान जीरादेई स्टेशन के पास सोना नदी को पार कर सीवान पहुंचे और यहीं उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया. यहां से उनका मृत शरीर कुशीनारा ले जाया गया, जहां उनका दाह संस्कार किया गया. सवान संस्कृत शवयान का बिगड़ा रूप है.अत: सवान (सीवान) ही बुद्ध का निर्वाण स्थल है.
सीवान रेलवे स्टेशन के निकट उत्तर में एक पुराना पीपल का वृक्ष एक बहुत बड़े स्तूप पर है, जिसे जगतरा ब्रह्म के नाम से जाना जाता है. जगतरा संस्कृत शब्द जगऋत का अपभ्रंश है, जो बुद्ध के बारे में ही कहा गया है. फाहियान ने अपने यात्र वृतांतों में लिखा है कि भगवान बुद्ध के निर्वाण स्थल से अंगार स्तूप (लौरिया नंद गढ़ अशोक स्तंभ) की दूरी 11 योजन यानी 140 किलोमीटर है.
यह दुरी सीवान से सटीक बैठती है. इतिहासकारों का कहना है कि पावा से कुशीनारा जाते समय बुद्ध ने रास्ते में 25 बार विश्रम किया था.
सीवान से कुसया की दूरी 80 किलोमीटर है. तबीयत खराब होने की स्थिति में कोई 25 बार विश्रम करने के बाद इतनी दूरी तय नहीं कर सकता. हृवेनसांग के अनुसार अशोक ने बुद्ध के निर्वाण स्थल के समीप तीन स्तूपों का निर्माण कराया था, जो सीवान को छोड़ कर कहीं नहीं हैं. इन तीनों स्तूपों के अवशेष आज भी मौजूद हैं.

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