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सदर अस्पताल में अव्यवस्था का जिम्मेवार कौन?

सीवान : स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में प्रतिनियुक्त डॉक्टरों व कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति रद्द किये जाने के बाद सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा ठप्प होने केलिए जिम्मेवार कौन है? यह चिंतन का विषय है. मंगलवार को सदर अस्पताल की ओपीडी सेवा डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी के कारण बंद कर दी […]

सीवान : स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में प्रतिनियुक्त डॉक्टरों व कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति रद्द किये जाने के बाद सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा ठप्प होने केलिए जिम्मेवार कौन है? यह चिंतन का विषय है.
मंगलवार को सदर अस्पताल की ओपीडी सेवा डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी के कारण बंद कर दी गयी. एक दिन की समस्या से ऐसा नहीं हुआ है. आज तक सदर अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा नहीं मिल सका.
इसके लिए जिले के जन प्रतिनिधि भी कुछ हद तक जिम्मेवार हैं.सदर अस्पताल में करीब 15 नियमित डॉक्टर और करीब 15 कांट्रेक्ट के डॉक्टरों को यहां पर पदस्थापित किया जा सकता है.
जिला स्वास्थ्य समिति को यह अधिकार था कि स्थापना की बैठक बुला कर कम-से-कम इन पदों पर 30 जुलाई के पहले तक डॉक्टरों को पदस्थापित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका. सिविल सजर्न ने अपने इस अधिकार का प्रयोग या तो कर्मचारियों को परेशान करने या अपने निजी स्वार्थ के लिए किया. अगर ऐसा नहीं है तो अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सदर अस्पताल के कई डॉक्टर, जो वर्षो से लंबी छुट्टी पर हैं, उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की गयी.
सदर अस्पताल में वर्षो पहले पदस्थापित निश्चेतक डॉक्टर ज्वाइन करने के बाद एक दिन भी काम पर क्यों नहीं दिखे. तीन जुलाई को गोपालगंज के एक डॉक्टर राजेश्वर सिंह ने योगदान दिया. तीन दिनों से सीएस कार्यालय में हाजिरी लगा कर घूम रहे हैं. उनकी पदस्थापना सदर अस्पताल में क्यों नहीं की गयी.
विभाग के सख्त आदेश के बावजूद सीएस ने सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त लेखापाल को पहले लिखित और बाद में पत्र रद्द कर मौखिक कार्य करने का आदेश दिया. बताया जाता है कि जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा विभाग के वरीय अफसरों द्वारा अपने मनचाहे कर्मचारियों की सूची बना कर विभाग को भेजी जा रही है कि उन कर्मचारियों की सदर अस्पताल में सख्त जरूरत है. इसमें सदर अस्पताल में सीएस के मौखिक आदेश पर काम करने वाले लेखापाल का भी नाम शामिल है.
मुख्यमंत्री सघन टीकाकरण के द्वितीय चरण का हुआ उद्घाटन
सीवान : सदर अस्पताल परिसर में एसीएमओ डॉ सूर्यदेव चौधरी ने मुख्यमंत्री सघन टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार पर बिहार में 42 तथा भारत में 40 है.
शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए टीकाकरण कराना अति आवश्यक है. इस अभियान में पेंटावैलेंट, हेपटाइटिस बी, बीसीजी, पोलियो, खसरा,मस्तिष्क ज्वर आदि बीमारियों के बचाव के लिए बच्चों को टीके लगाये जायेंगे.
यह अभियान 12 जून तक चलेगा. इस अभियान के तहत अप्रतिरक्षित एवं आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा. इसके तहत पोलियो, टीबी, काली खांसी, टिटनस, हेपटाइटिस बी, हिमोफिलस इंफ्लुएंजी टाइप बी, खसरा एवं जापानी इंसेफ्लाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए टीका लगाया जायेगा. इस अभियान के तहत लक्ष्य समूहों का टीकाकरण किया जायेगा. इसमें शहरी मलिन बस्ती के बच्चे, बंजारा समूह, ईंट भट्ठों, निर्माण स्थलों और नदियों के किनारे बसी बस्तियों के बच्चों को खास तौर पर प्रतिरक्षित किया जायेगा. इस अभियान के तहत 243 टीकाकरण केंद्र खुलेंगे.
इसमें आंगनबाड़ी सेविका और आशा टीकाकरण का कार्य करेंगी. इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग को डब्ल्यूएचओ,यूनिसेफ,रोटरी इंटरनेशनल अपना सहयोग दे रहे हैं. मौके पर डीआइओ डॉ प्रमोद कुमार पांडेय, एसएमओ डॉ संदीप शिंदे, अशोक शर्मा आ.दि उपस्थित थे.

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