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पर्यावरण हो रहा दूषित
अवैध रूप से संचालित चिमनियां उगल रही जहरीला धुआं जिले में सैकड़ों अवैध चिमनियां जहरीला धुआं उगल रही हैं, जिससे पर्यावरण तो दूषित हो ही रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की भी क्षति हो रही है. खनन विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में मात्र 296 ईंट भट्ठे संचालित […]
अवैध रूप से संचालित चिमनियां उगल रही जहरीला धुआं
जिले में सैकड़ों अवैध चिमनियां जहरीला धुआं उगल रही हैं, जिससे पर्यावरण तो दूषित हो ही रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की भी क्षति हो रही है. खनन विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में मात्र 296 ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं, जो वास्तविक रूप से संचालित हो रहे भट्ठों से काफी कम हैं.
वहीं विभिन्न भट्ठों पर 507.09 लाख रुपये बकाया है, जिसे भट्ठा मालिक दबाये बैठे हैं. एक जगह की चिमनी प्रतिबंधित होने पर दूसरी जगह वैध व अवैध रूप से चलाते है. वहीं जिले में खनन विभाग इसे रोकने में अक्षम साबित हो रहा है.
सीवान : खनन विभाग की उदासीनता एवं संसाधनों के अभाव के कारण चिमनी संचालकों की मनमानी हर तरफ जारी है. विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड से अधिक मात्र में ईंट का निर्माण किया जाता है.
साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि विभागीय नियमानुसार ईंट की दर निर्धारित होनी चाहिए, लेकिन विभाग द्वारा दर निर्धारित नहीं करने से यह चिमनी संचालकों की मनमानी पर निर्भर करता है. इन सबके बीच जनता का शोषण हो रहा है.
क्या है नियम
ईंट भट्ठा संचालन के लिए विभाग से मंजूरी आवश्यक है. साथ ही पर्यावरण विभाग से भी पहले अनुमति ली जानी होती है. चिमनी प्रदूषण विभाग व खनन विभाग के नियमानुसार ही निर्मित होनी चाहिए.
खनन विभाग के अनुसार चिमनी की ऊंचाई 22 मीटर होनी चाहिए. मानक ऊंचाई के अनुसार चिमनी का निर्माण होने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव कम होता है.वहीं चिमनी संचालन के लिए खनन विभाग द्वारा वार्षिक 74 हजार 500 रुपये रॉयल्टी निर्धारित की गयी है.
इसके अंतर्गत एक चिमनी द्वारा 25 लाख तक ही ईंट का निर्माण किया जा सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि चिमनी मालिकों द्वारा इससे कई गुना अधिक ईंट का निर्माण किया जा रहा है. वहीं बिना अनुमति के ईंट भट्ठे का संचालन नहीं किया जा सकता.
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