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अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे रसोइया

दरौंदा: रसोइया संघ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इनके सामने अब जीवन और मौत का सवाल है़ ये दस हजार रुपये प्रतिवर्ष पर मजदूरी करते है, इन्हें करीब आठ सौ रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है़,जो मनरेगा में मजदूरी करनेवाले मजदूरों से भी कम हैं. ऐसे में सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी हास्यास्पद बनती जा […]

दरौंदा: रसोइया संघ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इनके सामने अब जीवन और मौत का सवाल है़ ये दस हजार रुपये प्रतिवर्ष पर मजदूरी करते है, इन्हें करीब आठ सौ रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है़,जो मनरेगा में मजदूरी करनेवाले मजदूरों से भी कम हैं. ऐसे में सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी हास्यास्पद बनती जा रही ह़ै.

रसोइये अपनी समस्या को लेकर उच्च विद्यालय बगौरा के परिसर में एक बैठक संघ के अध्यक्ष धर्मनाथ माली की अध्यक्षता में मंगलवार को की. बैठक में सरकार से मांग की गई कि उनका मानदेय 10 हजार प्रति माह कर दिया जाय़ अपनी मांगों को लेकर रसोइया संघ प्रखंड से लेकर जिला और राजधानी तक अपनी मांगों को रख चुके है़ उन्हें आश्वासन भी सरकार के पदाधिकारियों ने दिया कि शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय लिया जययेगा़

लेकिन अबतक रसोईयों के भविष्य का निर्णय सरकार की झोली में कैद है़ बैठक में दिलीप कुमार राम, किरानी पांडे, विजय तिवारी, रंगीला प्रसाद, सुरेंद्र महतो, शनिचरा देवी, कृष्णा देवी, सुलानी कुंवर, सोना देवी, मीना देवी आदि रसोइया शामिल थे.

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