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डस्टबिन खरीद में छह करोड़ नब्बे लाख का गबन

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के नेतृत्व में हुई मामले की जांच पूर्व वार्ड पार्षद इंतखाब अहमद ने निगरानी विभाग से की थी शिकायत सीवान : नगर पर्षद में फिर से एक बार जांच के बाद गबन का मामला उजागर हुआ है. इस बार डस्टबिन की खरीदारी में करीब छह करोड़ नब्बे लाख रुपये का […]

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के नेतृत्व में हुई मामले की जांच

पूर्व वार्ड पार्षद इंतखाब अहमद ने निगरानी विभाग से की थी शिकायत

सीवान : नगर पर्षद में फिर से एक बार जांच के बाद गबन का मामला उजागर हुआ है. इस बार डस्टबिन की खरीदारी में करीब छह करोड़ नब्बे लाख रुपये का गबन किया गया है.

यह जांच पूर्व नगर पर्षद इंतखाब अहमद के आवेदन पर हुई है. इसके पूर्व में भी उन्हीं के शिकायत पर एलईडी और हाईमास्क लाइट की खरीदारी के मामले में तीन करोड़ 87 लाख रुपये घोटाले करने का मामला निगरानी ने दर्ज की थी. अभी वह मामला चल ही रहा था कि एक बार फिर नगर पर्षद सुर्खियों में आ गया है. इंतखाब अहमद ने निगरानी विभाग के सचिव को पत्र भेजकर मामले की जांच करने को कहा था, जिसके बाद जिलाधिकारी ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कुमार रामानुज के नेतृत्व में टीम गठित कर मामला की जांच करायी. जांच में टीम ने पाया है कि सीवान नगर पर्षद में चार हजार नौ सौ रुपये का डस्टबिन 240 लीटर को 18 हजार 700 रुपये में लगभग 5 हजार पीस खरीदे गये हैं, जो पार्षदों कर्मचारियों तथा ठेकेदार के मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता व पद का दुरुपयोग निजी लाभ के लिए मनमाने तरीके से खरीदारी की गयी है. उन्होंने आरोप लगाया था कि निविदा प्रकिया में अनियमितता, बाजार दर से अधिक दर पर क्रय किया गया है और आपूर्ति आदेश की तुलना में कम संख्या में खरीदारी की गयी. जांच में टीम ने पाया है कि सामान क्रय करने का निर्णय 20 फरवरी 2016 की आम बैठक में हुआ, परंतु समाचार पत्र में प्रकाशन के लिए 04 फरवरी को ही भेज दिया गया.

इससे स्पष्ट होता कि बिना बोर्ड के ही निविदा प्रक्रिया आरंभ कर दी गयी. निविदा में कुल पांच लोगों ने भाग लिया. 5 में 3 तकनीकी मूल्यांकन में सफल हुये. वित्तीय बीड में पटना के मीठापुर के रिलेबर इंटरप्राइजेज का न्यूनतम दर 18 हजार 700 रहा. बाजार मूल्य का आकलन या नेट पर उपलब्धर दर विचार नहीं किया गया है. जैम पोर्टल पर उपलब्ध मूल्य 12750 रुपया है, निर्धारित दर 18 हजार 700 रुपये इसकी तुलना में काफी अधिक है.

शिकायतकर्ता के द्वारा उपलब्ध कराया गया था एक कोटेशन : शिकायतकर्ता के द्वारा एक कोटेशन भी उपलब्ध कराया गया था. दिनांक 11 मार्च 2016 को एकरारनामा कर दिनांक 27 अप्रैल 2016 को 2 हजार अदद डस्टबिन आपूर्ति के लिए कार्यादेश दिया गया.

पुन: इसी निविदा के आधार पर न्यूनतम दर अंकित करने वाले रिलेबली इंटरप्राइजेज मीठापुर पटना को दिनांक 03 अगस्त, 2016 एवं दिनांक 31 दिसंबर, 2016 को क्रमश: एक हजार और दो हजार 240 लीटर का डस्टबिन आपूर्ति के लिए कार्यादेश दिया गया. इससे कुल 5 हजार अदद आपूर्ति किया गया. आपूर्ति आदेश की तिथि एवं भुगतान की तिथि से स्पष्ट है कि 03 अगस्त, 2016 एवं 31 दिसंबर, 2016 को क्रमश: एक हजार एवं दो हजार डस्टबिन की अपूर्ति करने के पूर्व ही भुगतान कर दी गयी जो नियमानुकूल नहीं है. डस्टबिन की गुणवक्ता की जांच हाजीपुर में करायी गयी.

जांच के दौरान जैम पोर्टल पर उपलब्ध दर का नहीं किया गया पालन : जांच के द्वारा टीम ने पाया है कि नगर पर्षद द्वारा दर के निर्धारण में जैम पोर्टल पर उपलब्ध दर एवं बाजार दर पर विचार नहीं किया गया है. जिससे नगर पर्षद को 6 करोड़ नब्बे लाख रुपया का अधिक भुगतान करना पड़ा. इसके लिए तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी आरके लाल व पूर्व नगर सभापति बबलू चौहान से कारणपृच्छा कर अग्रेतर कार्रवाई की जा सकती है.

इस संबंध में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कुमार रामानुज ने बताया कि मामला की जांच की गयी है. इसमें 6 करोड़ नब्बे लाख रुपये की क्षति पहुंचायी गयी है. इस रिपोर्ट को विभाग को भेज दिया गया है.

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