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डॉक्टर की जगह इलाज कर रहे निजी सहायक

सीवान : ड्यूटी से गायब रहने वाले कई डॉक्टरों ने अब एक नया तरीका निकाल लिया है. जब डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, तो बायोमीटरिक से हाजिरी बनाने के बाद कई डॉक्टर अपने निजी सहायकों को अपने काम की जिम्मेदारी सौंप अपने प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस करने चले जाते हैं. मरीजों को देखने की सरकारी […]

सीवान : ड्यूटी से गायब रहने वाले कई डॉक्टरों ने अब एक नया तरीका निकाल लिया है. जब डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, तो बायोमीटरिक से हाजिरी बनाने के बाद कई डॉक्टर अपने निजी सहायकों को अपने काम की जिम्मेदारी सौंप अपने प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस करने चले जाते हैं. मरीजों को देखने की सरकारी पंजी पर मरीजों का रजिस्ट्रेशन निजी डॉक्टर बेहिचक करते हैं. सरकारी रेकाॅर्ड्स में लिखने का अधिकार किसने दिया, यह तो विभाग के अधिकारी ही बतायेंगे.

उपाधीक्षक ने मरीजों का इलाज करते निजी डॉक्टर को पकड़ा: मंगलवार को सदर अस्पताल के शिशु रोग ओपीडी में नये डॉक्टर को देख लोग आश्चर्य में आ गये. अपने बच्चों को दिखाने आनेवाले लोगों को क्या पता कि डॉक्टर की कुर्सी पर इलाज करनेवाला व्यक्ति अस्पताल का डॉक्टर है कि नहीं.
नवजात बच्चों से लेकर बड़े बच्चों को देखकर डॉक्टर की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति दवा और जांच कराने की सलाह दे रहा था. पूछने पर इलाज कर रहे व्यक्ति ने बताया कि वह सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ इसरायल का निजी सहायक है. वह उनके आदेश पर मरीजों का इलाज कर रहा है.
लोगों की शिकायत पर उपाधीक्षक डॉ एमके आलम आये तथा ओपीडी कक्ष में जाकर देखा. उन्होंने कहा कि मरीजों का आरोप सही है. इलाज करनेवाला व्यक्ति यूनानी मेडिकल कॉलेज का पास किया हुआ छात्र है. इतना कह कर वे अपने कक्ष में मरीजों को देखने चले गये. उन्होंने इस संबंध में न तो डॉ इसरायल से कोई पूछताछ की और न इलाज कर रहे यूनानी मेडिकल कॉलेज के छात्र को जाने के लिए कहा. इसके बाद डॉ इसरायल आये और चले गये.
निजी डॉक्टर करते हैं मरीजों का आर्थिक शोषण
सदर अस्पताल के सरकारी डॉक्टरों की जगह अनधिकृत रूप से काम करने वाले डॉक्टर मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण करते हैं. पहले तो ये डॉक्टर अस्पताल में मौजूद दवाओं को मरीज की पर्ची पर नहीं लिखते हैं. किसी कंपनी विशेष की दवा पर्ची पर लिखकर बाजार से खरीदने की सलाह देते हैं.
बाजार में मिलने वाली ये दवाएं नामी गिरामी कंपनियों की दवा की तुलना में काफी महंगी होती हैं. लेकिन सदर अस्पताल में दिखाने आनेवाले मरीजों के परिजनों को यह नहीं पता कि उन्हें चूना लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं, निजी डॉक्टर मरीजों के पर्ची पर अनावश्यक जांच लिखकर बाजार से जांच कराने की सलाह देते हैं. सदर अस्पताल में करीब 48 तरह की जांच नि:शुल्क की जाती है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
आरोप के संबंध में उपाधीक्षक एवं अस्पताल प्रबंधक से बात कर रहा हूं. उपाधीक्षक के संज्ञान में आने के बाद कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, इसकी जांच कराकर दोषी डॉक्टर के विरुद्ध निश्चित रूप से कार्रवाई की जायेगी. सिविल सर्जन के आने के बाद मामले को प्रमुखता के साथ उनके समक्ष रखा जायेगा.
डॉ. प्रमोद कुमार पांडे, एसीएमओ सह प्रभारी सिविल सर्जन, सीवान

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