कुव्यवस्था. सीवान से चलती थीं दो दर्जन से अधिक बसें
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चार बसों पर परिवहन सेवा
कुव्यवस्था. सीवान से चलती थीं दो दर्जन से अधिक बसें सीवान : कभी अपने सुनहरे अतीत को याद कर सीवान का बस डिपो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 1982 में स्थापित सीवान बस डिपो से बिहार सहित अन्य राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल के लिए सरकारी बस सेवा उपलब्ध थी. यहां से प्रतिदिन […]
सीवान : कभी अपने सुनहरे अतीत को याद कर सीवान का बस डिपो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 1982 में स्थापित सीवान बस डिपो से बिहार सहित अन्य राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल के लिए सरकारी बस सेवा उपलब्ध थी. यहां से प्रतिदिन दो दर्जन गाड़ियां खुलती थीं. सुबह से लेकर रात तक सीवान का बस डिपो गुलजार रहता था और हजारों यात्री अपनी यात्रा करते थे. लेकिन वर्तमान हालात यह हैं कि जिले की सरकारी परिवहन सेवा खस्ता हाल है और यहां से मात्र चार गाड़ियां ही चलती हैं. तीन नयी गाड़ियां मामूली खराबी के कारण डिपो की शोभा बढ़ा रही हैं. बस डिपो में कर्मचारी से लेकर संसाधनों तक का घोर अभाव है. कर्मचारी के अभाव में पद खाली पड़े हैं, वहीं 21 कर्मचारी अनुबंध पर रखे गये हैं. इन्हें भी समय से वेतन नहीं मिल पाता है.
1990 से बदहाल होती गयी स्थिति : 1982 से 1990 तक जिले की परिवहन सेवा खुशहाल रही, लेकिन 1990 के बाद सूबे में स्थापित नयी सरकार का इस पर खास ध्यान नहीं रहने से इसकी स्थिति बदतर होती गयी. 2002 तक बिहार राज्य पथ परिवहन द्वारा एक भी बस की खरीदारी नहीं की गयी. न ही बसों के मेंटेनेंस के लिए कोई व्यवस्था की गयी. इससे धीरे-धीरे परिवहन विभाग की बसें सड़कों से हट कर डिपो की शोभा बढ़ाने लगीं, वहीं विभाग द्वारा नयी बहाली करने के कारण ड्राइवर, कंडक्टर सहित मेकैनिक व अन्य पद खाली होते गये. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की दो दर्जन से अधिक बसें चलती थी. सीवान से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, फैजाबाद, बनारस, इलाहाबाद, लखनऊ तक बसें चलती थी, वहीं पटना मुजफ्फरपुर, रांची, हजारीबाग से कोलकाता तक परिवहन निगम की बसें चलती थीं. वहीं मोतिहारी, बेतिया, बगहा व नेपाल के बॉर्डर रक्सौल तक बसें जाती थीं. यूपी का सीमांचल जिला होने के कारण यात्रियों की बड़ी संख्या रहती थी. वहीं सीवान जंक्शन भी पूर्वोतर रेलवे का बड़ा जंक्शन है, जहां से मोतिहारी, बेतिया तक के लोग बस से अपनी ट्रेन पकड़ने पहुंचते थे. यह सेवा समाप्त होने के बाद जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बची हैं मात्र चार बसें : जिले की परिवहन सेवा वर्तमान में तीन बसों के सहारे है, जिसमें एक जोड़ी बस गोपालगंज जिले के कटेया से सीवान, छपरा होते हुए पटना पहुंचती है. सीवान से एक मिनी बस पटना के लिए एक बस सुबह पांच बजे प्रस्थान करती है. वहीं एक बस सीवान भाया चैनपुर, पटना तक जाती है. तीन नयी बसें मामूली खराबी के कारण डिपो में पड़ी हैं. डिपो अधीक्षक के अनुसार इसकी बैटरी खराब है. एक हप्ते के अंदर बैटरी मिल जायेगी.
इसमें दो बसें पटना और एक आरा के लिये चलायी जायेंगी.
कर्मियों की है भारी कमी : पथ परिवहन के सीवान डिपो में कर्मचारियों की भारी कमी है. एक डिपो अधीक्षक, तीन मेकैनिक व दो चतुर्थ वर्गीय कर्मी कार्यरत हैं. ड्राइवर, कंडक्टर से लेकर खलासी तक अनुबंध पर काम कर रहे हैं. उन्हें 30 दिन काम करने के बाद भी 26 दिन का ही वेतन मिलता है. ड्राइवर को 301 रुपये व कंडक्टर-खलासी को 247 रुपया दैनिक वेतन मिलता है. कर्मियों का कहना है कि वे मजबूरी में यह काम कर रहे हैं. उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी कम पैसा मिल रहा है.
साथ ही समय से वेतन भी नहीं मिल पता. इससे उन्हें आर्थिक परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
संसाधन के अभाव के कारण बस सेवा बाधित हो रही है. उपलब्ध संसाधन में सेवा देने का प्रयास किया जाता है. तीन बसें, जो मामूली खराबी से बंद हैं, वह अगले हफ्ते से शुरू हो जायेगी. परिवहन विभाग से नयी बसें भी मिलने वाली हैं. इससे बेहतर सेवा दी जा सकेगी.
विजेंद्र प्रसाद शाही, डिपो प्रबंधक, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम, सीवान
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