सीवान : शहर के दो सगे भाइयों की दिनदहाड़े फिरौती के लिए अपहरण कर तेजाब से नहला कर हत्या कर देने के मामले में 11 वर्ष बाद आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार 11 दिसंबर, 2015 को 11.55 बजे सीवान के विशेष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. इसमें पूर्व सांसद शहाबुद्दीन सहित चार को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी.
इसके बाद पूर्व सांसद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पटना हाईकोर्ट ने भी विशेष अदालत की सजा पर मुहर लगाते हुए उसे बरकरार रखा है.
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन पर ऐसे कसता गया शिकंजा
कॉल डिटेल की रही आरोप साबित होने में प्रमुख भूमिका : तेजाब हत्याकांड में आरोपितों को सजा दिलाने में मोबाइल का कॉल डिटेल समेत कई तथ्यों की प्रमुख भूमिका रही. इसमें मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ आपराधिक इतिहास, टेलीफोन विभाग के अधिकारी तथा चश्मदीद गवाह राजीव रोशन का बयान प्रमुख रहा था. इसके अलावा मृतकों के पिता चंदा बाबू का 164 का बयान व उनके द्वारा कोर्ट में राजीव रोशन के लिखे गये पत्र को प्रस्तुत करना भी साक्ष्य के रूप में प्रमुख माना गया था.
अलग-अलग दफा में हुए थे दोषी : शहाबुद्दीन पर 302, 201, 364ए व 120 बी के तहत चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश राज व सतीश राज का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का आरोप था. वहीं, अन्य आरोपित राजकुमार साह, आरिफ व शेख असलम को दफा 302 व 201 से मुक्त करते हुए अपहरण का आरोप लगाया गया था.
घटना के समय जेल में होने की दलील खारिज : तेजाब हत्याकांड के सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा मुख्य अभियुक्त मो. शहाबुद्दीन के घटना के वक्त जेल में बंद रहने की दलील को न्यायालय ने खारिज कर दिया था. यह दलील हाईकोर्ट के सामने भी रखी गयी थी, जो शहाबुद्दीन को इस मामले से बचाने की कड़ी मानी जा रही थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को दरकिनार करते हुए विशेष अदालत की सजा को बरकरार रखा.
सोशल मीडिया पर छायी रही चर्चा : शहाबुद्दीन का फैसला क्रिया व प्रतिक्रिया के बीच सोशल मीडिया पर छा गया. कई लोगों ने स्वागत किया. साथ ही कहा कि जो बाप अपनी जिंदगी में ही दरिंदों के करतूतों के चलते तीन बेटों को कंधा देने को विवश हुआ, उसके लिए न्यायालय का यह फैसला सुकून भरा है.
तेजाब से नहला कर हुई दोनों भाइयों की हत्या : अपहृत गिरीश और सतीश को प्रतापपुर लाया जाता है. यहां तेजाब से नहला कर दोनों की हत्या कर शव को ठिकाने लगा दिया जाता है. इस मामले में अपहृत की मां कलावती देवी के बयान पर नागेंद्र तिवारी व मदन शर्मा को नामजद किया गया, जिसमें बाद में अनुसंधान के क्रम में पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन व अन्य 10 का नाम आया.
राजीव की गवाही पर उठे थे सवाल : सात साल बाद चश्मदीद राजीव रौशन को दावे और उसकी गवाही पर प्रश्न खड़े हुए थे. तत्कालीन विशेष सत्र न्यायाधीश एके पांडेय की अदालत ने सुनवाई के दौरान शहाबुद्दीन के खिलाफ मामला चलाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर फिर शहाबुद्दीन के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट को राजीव रौशन ने बताया था कि घटना के बाद अपनी हत्या की आशंका से वह गोरखपुर में छिप कर रह रहा था. फिर शहाबुद्दीन के जेल जाने और बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद उसने वापस आ कर गवाही देने की हिम्मत जुटायी.
नौ सितंबर, 09 को मामले में रिमांड पर लिये गये थे पूर्व सांसद : पूर्व सांसद व तेजाब हत्याकांड के आरोपित मो शहाबुद्दीन नौ सितंबर को रिमांड पर लिये गये थे. इस मामले में पहला फैसला सीवान विशेष कोर्ट ने 11 साल के इंतजार के बाद 11 दिसंबर को फैसला सुनाया. इस दौरान 11 गवाहों ने अपनी गवाही दी. यह भी संयोग ही है कि नौ तारीख को ही इस मामले में वे दोषी करार दिये गये थे.
तब जेल में बंद थे शहाबुद्दीन : तेजाब हत्याकांड के समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन मंडल कारा सीवान में बंद थे. फिर चश्मदीद राजीव रौशन के बयान पर कोर्ट ने यह माना कि मो. शहाबुद्दीन ने कानून को तोड़ते हुए जेल से निकल कर अन्य साथियों के साथ मिल कर इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था. पूर्व सांसद पर हत्या, हत्या की नीयत से अपहरण, साक्ष्य छुपाने व आपराधिक षड्यंत्र का दोष सिद्ध हुआ था. चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अपने दोनों बेटों के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके थे. उनके दोनों बेटों की हत्या के बाद शवों को ठिकाने लगा दिया गया, जिसे पुलिस बरामद नहीं कर सकी थी.
चश्मदीद राजीव रोशन की भी कर दी गयी थी हत्या : तेजाब हत्याकांड के एकमात्र चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की भी हत्या 16 जून, 14 को नगर के डीएवी मोड़ पर ओवरब्रिज के नजदीक गोली मार कर कर दी गयी थी. इस मामले में राजीव रोशन के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद के बयान पर शहाबुद्दीन व उनके बेटे ओसामा के विरुद्ध नगर थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
डेढ़ माह बाद ही हो गयी थी चश्मदीद की हत्या : पटना उच्च न्यायालय ने एक मई, 2014 को पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन के विरुद्ध तेजाब हत्याकांड में हत्या व षड्यंत्र को लेकर आरोप गठन का आदेश दिया था. मामला फिर से सुना जाना था. इसी बीच 16 जून, 2014 को राजीव रोशन की हत्या कर दी गयी थी, जो अपने दोनों भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था.
11 वर्ष बाद 11 दिसंबर, 2015 को सीवान विशेष कोर्ट ने सुनायी थी सजा
16 तारीख को ही चंदा बाबू ने खो दिया था तीनों बेटों को
16 अगस्त, 2004 की सुबह के 10 बजे की बात है. शहर के गोशाला रोड स्थित अर्धनिर्मित मकान पर भूमि विवाद को लेकर शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के मकान पर जमीन को लेकर पंचायती हो रही है. इसी दौरान कुछ लोग चंद्रकेश्वर बाबू और उसके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं.
फिर कुछ शरारती तत्वों के आने के बाद मारपीट शुरू हो जाती है. इसके बाद अपनी आत्मरक्षा में चंद्रकेश्वर प्रसाद के परिजन घर में रखे तेजाब का प्रयोग करते हैं, जिससे कई लोग जख्मी हो जाते हैं. फिर तेजाब हत्याकांड की पटकथा लिखी जाती है. कुछ देर बाद ही बड़हरिया रोड स्थित दुकान से चंदा बाबू के बेटे गिरीश राज उर्फ निक्कू (24 वर्ष) का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया जाता है. फिर नगर थाने के नजदीक चिउड़ा हट्टा बाजार से चंदा बाबू के दूसरे बेटे सतीश राज उर्फ सोनू का भी अपहरण कर लिया जाता है. फिर इस मामले में फोन से धमकी और रंगदारी मांगने की भी बात सामने आती है. थाने में अज्ञात के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज हुआ. बाद में इस मामले में मो शहाबुद्दीन सहित 13 का नाम अनुसंधान में शामिल किया गया.
इन मामलों में शहाबुद्दीन को हो चुकी है सजा
छोटेलाल अपहरण कांड में उम्रकैद
आर्म्स एक्ट के मामले में 10 वर्षों की सजा
एसपी सिंघल पर जानलेवा हमले के मामले में 10 वर्षों की सजा
चोरी की मोटरसाइकिल बरामदगी में तीन वर्षों की सजा
भाकपा कार्यालय पर गोली चलाने के आरोप में दो साल की सजा
मुफस्सिल थाने में मारपीट के मामले में सजा
हत्या के मामले में आजीवन कारावास
इन मामलों में हो चुके हैं बरी
डीएवी कॉलेज में परीक्षा के दौरान बमबारी
दारोगा संदेश बैठा से मारपीट का मामला
जमशेदपुर दोहरे हत्याकांड में बरी हैं
सात सह अभियुक्तों का मुकदमा लंबित : तेजाब हत्याकांड में जहां चार आरोपितों को हाइकोर्ट ने सजा बरकरार रखी है. वहीं इससे संबंधित अन्य सात अभियुक्तों का मामला प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद शुक्ल के अदालत में लंबित है. 6 अक्तूबर, 2012 को तत्कालीन जज के द्वारा आरोप गठित किया जा चुका है. इधर बचाव पक्ष के अधिवक्ता इष्टदेव तिवारी ने जिरह करने से इन्कार करते हुए एक आवेदन दिया. उनके आवेदन कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया. इसी खारिज आवेदन के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
ये हैं सात अभियुक्त
थाना सराय ओपी के चांप गांव आफताब, हुसैनगंज के प्रतापपुर गांव निवासी मकसूद मियां, हुसैनगंज के प्रतापपुर निवासी झब्बू मियां, तेतरिया निवासी अजमेर मियां, मुफस्सिल थाना क्षेत्र गौशाला रोड निवासी नागेंद्र तिवारी, दरोगाहाता निवासी छोटे लाल शर्मा व नगर थाने के दक्षिण टोला निवासी कन्हैया लाल शामिल हैं.