लापरवाही. करोड़ों की मासिक आय के बाद भी माल गोदाम में नहीं हैं आवश्यक सुविधाएं
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बरसात शुरू होते ही कम हुई माल की आवक
लापरवाही. करोड़ों की मासिक आय के बाद भी माल गोदाम में नहीं हैं आवश्यक सुविधाएं सीवान : बरसात शुरू होते ही सीवान जंकशन के माल गोदाम में माल की आवक कम हो गयी है. वैसे सामान्य मौसम में महीने में 55 से 60 रैक माल उतरता है. सीवान के व्यवसायी मुख्य रूप से खाद्यान, नमक, […]
सीवान : बरसात शुरू होते ही सीवान जंकशन के माल गोदाम में माल की आवक कम हो गयी है. वैसे सामान्य मौसम में महीने में 55 से 60 रैक माल उतरता है. सीवान के व्यवसायी मुख्य रूप से खाद्यान, नमक, यूरिया, सीमेंट आदि सामान मंगाते हैं. रेल माल गोदाम में शेड या लाइन के बगल में प्लेटफॉर्म नहीं रहने से बरसात के दिनों में व्यापारियों का सामान पानी भींग जाता है. इसी कारण बरसात शुरू होते ही व्यापारियों ने भींगने वाला सामान मंगाना बंद कर दिया है.
सीवान माल गोदाम की मासिक आय करीब 16 करोड़ से लेकर 14 करोड़ रुपये हैं. लेकिन इतनी मोटी आमदनी होने के बाद भी रेल मालगोदाम में व्यापारियों व इसमें काम करने वाले मजदूरों के लिए कोई आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं. रेल माल गोदाम में अभी कुछ निर्माण कार्य हो रहा है. दो शौचालयों व व्यापारियों व मजदूरों के आराम करने के लिए शेड व उसमें सीमेंट की कुर्सियां बन रही हैं. दोनों रैक प्वाइंट को जाने वाली सड़क तो बन गयी है लेकिन रैक प्वाइंट की बगल की सड़कें ज्यों-की-त्यों उसी तरह जर्जर अवस्था में हैं. मालगोदाम में 24 घंटे माल की अनलोडिंग होने के कारण सुविधा के लिए हाइ मास्ट लाइट लगायी गयी हैं लेकिन रख-रखाव नहीं होने से सभी लाइटें खराब हो गयी हैं. रेल के कर्मचारी जुगाड़ लगाकर उसमें एक-दो बल्ब किसी तरह जला कर कुछ रोशनी कर लेते हैं.
नहीं है दोनों रैक प्वाइंट के बगल में शेड या प्लेटफॉर्म : सीवान रेल माल गोदाम में अन्य प्रदेशों से खाद, सीमेंट, खाद्यान, नमक तथा स्टोन चिप्स आते हैं. स्टोन चिप्स को छोड़कर सभी सामान पानी से भींगने पर खराब होने वाले हैं. सीवान माल गोदाम के रैक प्वाइंट के बगल में न तो माल की सुरक्षा के लिए शेड है और न जमीन पर सीमेंटेड प्लेटफॉर्म ही. कड़ाके की धूप हो या बरसात का मौसम. व्यापारियों को खुल आसमान के नीचे अपने माल को उतारना पड़ता है. गरमी के दिनों में तो किसी तरह काम चल जाता है, लेकिन बरसात के दिनों में व्यापारियों को माल भींगने से काफी क्षति उठानी पड़ती है. माल उतारने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी गरमी के दिनों में होती है. इन मजदूरों को आराम करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
जर्जर लाइनों से होती है रैक प्वाइंट पर रैक का प्लेसमेंट : सीवान जंकशन से जब मालगोदाम में रैक प्लेसमेंट के लिए जाता है, तो स्टेशन मास्टर द्वारा लाइन जर्जर होने के कारण कॉसन दिया जाता है. जब रैक को लेकर इंजन मालगोदाम में प्रवेश करता है, तो चालक द्वारा काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. कई बार तो रैक प्लेसमेंट या खाली रैक को निकालने के दौरान इंजन या खाली डिब्बे बेपटरी हो चुके हैं.
नियमानुसार महीने में एक बार रैक प्वाइंट की लाइनों का रख-रखाव करने का प्रावधान है. लेकिन ऐसा कभी नहीं किया जाता है. रैक प्वाइंट दो के बगल से ही डाउन लाइनें गुजरती हैं. सुरक्षा की दृष्टि से निर्धारित समय पर लाइनों को रख-रखाव होना चाहिए. माल गोदाम यार्ड में कई स्थानों पर रेल का स्लीपर अव्यवस्थित ढंग से रखे जाने से व्यापरियों व मजदूरों को माल उतारने में परेशानी होती है.
चहारदीवारी नहीं होने से होती हैं चोरी की घटनाएं : सीवान रेल माल गोदाम के उत्तर व दक्षिण साइड में आवासीय मोहल्ले हैं. चहारदीवारी नहीं होने के कारण इस तरफ से असामाजिक तत्व माल गोदाम में प्रवेश कर माल गोदाम में उतरने वाले सामान की चोरी कर लेते हैं. व्यापारियों व मजदूरों के सर्तक रहने के बाद भी असामाजिक तत्व चोरी करते है. सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब रेल मालगोदाम में एफसीआइ या व्यापारियों का खाद्यान आता है. व्यापारियों को अपने माल की सुरक्षा स्वयं करनी पड़ती है. रेल माल गोदाम में प्रतिदिन करीब पांच दर्जन से अधिक महिलाएं व पुरुष घुमकर डिब्बों से स्टोन चिप्स और फटे सीमेंट के बैगों से सीमेंट इकट्ठा कर खुलेआम लेकर जाते हैं. आरपीएफ इस प्रकार की गतिविधि को रोकने में पूर्ण रूप से विफल है.
शेड व ढंकने की व्यवस्था नहीं होने से भींग जाता है व्यापारियों का सामान
क्या कहते हैं अधिकारी
सीनियर डीसीएम ने हाल ही में सीवान रेल मालगोदाम का निरीक्षण कर कई सुविधाओं को बढ़ाने का आश्वासन दिया है. व्यापारियों की समस्याओं को वरीय रेल अधिकारियों से अवगत करा दिया गया है. रेलवे द्वारा, जो सुविधा मिलती है, उसे व्यापारियों को उपलब्ध कराया जाता है. माल को ढंकने की व्यवस्था व्यापारियों को स्वयं करनी होती है.
नीरज श्रीवास्तव, मालगोदाम अधीक्षक
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