कहीं कंप्यूटर है तो कहीं ऑपरेटर नहीं फोटो- 16 हाइस्कूल परिहार में बेकार पड़ा कंप्यूटर, 17 पुस्तकालय में बैठी अध्यक्ष, 18 उत्क्रमित हाइस्कूल ढ़ांगर, 19 प्रभारी प्रधान राधेश्याम प्रसाद, 20 हाइस्कूल खड़का में सड़ रही खेल सामग्री, 21 किताबों के बीच पुस्तकालय अध्यक्ष. हाइस्कूलों में पुस्तकालयों का भी हाल ठीक नहीं पटना से प्रधान शिक्षकों से प्रतिदिन पूछा जाना है कंप्यूटर की पढ़ाई व पुस्तकालय का हाल सीतामढ़ी. शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के साथ ही प्रधान व शिक्षकों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है. यानी शिक्षा विभाग, पटना से जिले के 20 हाइस्कूलों के प्रधान शिक्षकों से दो सत्र में पांच-पांच सवाल पूछे जायेंगे. इन सवालों में कितने बच्चे कंप्यूटर की पढ़ाई किये, शिक्षक थे कि नहीं और पुस्तकालय व उपयोग करने वाले बच्चों की संख्या के बारे में जानकारी देना होगा. फोन से ही सवाल पूछे जायेंगे और जवाब देना होगा. प्रभात खबर ने बुधवार को जिले के प्रखंडों के तीन हाइस्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा व पुस्तकालयों का हाल जानने की कोशिश की. कंप्यूटर है, पर शिक्षक नहीं परिहार. स्थानीय गांधी उच्च विद्यालय में वर्ष 2011 में बेलट्रॉन कंपनी की ओर से करीब दर्जन भर कंप्यूटर लगाया गया. एक साल तक कंप्यूटर शिक्षक भी रहे. प्रधान शिक्षक अता करीम बताते हैं कि वेतन नहीं मिलने के चलते कंप्यूटर शिक्षक चले गये. नाम का है पुस्तकालय पुस्तकालयाध्यक्ष शोभा कुमारी ने बताया कि काफी कम किताबें हैं. हाइस्कूल के छात्र-छात्राओं के कोर्स की गणित, सामान्य ज्ञान, संगीत, उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी आदि विषयों के अलावा चुटकुला समेत कई तरह की किताबें नहीं हैं. वहीं इंटर के छात्र-छात्राओं के कोर्स का उर्दू, अग्रेजी, संगीत व गृह विज्ञान की किताबें नहीं हैं. बताया कि काफी कम संख्या में बच्चे पुस्तकालय का उपयोग करते हैं.नहीं बना स्कूल भवन वर्ग नौ में 652 छात्र व 578 छात्रा एवं कक्षा 10 में 669 छात्र व 553 छात्रा हैं. इंटर प्रथम वर्ष में 206 छात्र व 253 छात्रा एवं द्वितीय वर्ष में 240 छात्र व 181 छात्रा हैं. प्रधान ने बताया कि टी मॉडल का स्कूल भवन बनना था. खुदाई भी करायी गयी. ग्रामीणों ने यह कहते हुए काम रोक दिया कि खेल का मैदान छोटा पड़ जायेगा. हाइस्कूल में 20 में से 12 शिक्षक का पद रिक्त हैं तो इंटर में 14 शिक्षक का पद रिक्त है. न कंप्यूटर है और न पुस्तकालय परसौनी. प्रखंड के उत्क्रमित विद्यालय, ढ़ांगर का भवन चकाचक है. यह जान कर हैरानी होगी कि वर्ग नवम में 143 व दशम में 91 छात्र-छात्राएं हैं, जबकि इन्हें पढ़ने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं. बच्चे स्कूल आते हैं और पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति कर लौट जाते हैं. प्रभारी प्रधान राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि पुस्तकालय व कंप्यूटर शिक्षा की बात करना ही बेमानी है. यह यहां के बच्चों के लिए एक सपना से कम नहीं है. दो वर्ष पूर्व यह स्कूल हाइस्कूल में उत्क्रमित हुआ लेकिन अब तक एक भी शिक्षक की बहाली नहीं की गयी है. कंप्यूटर शिक्षा बना सपना बोखड़ा. प्रखंड के हाइस्कूल,खड़का में कंप्यूटर की पढ़ाई छात्र-छात्राओं के लिए एक सपना बना हुआ है. यानी विभाग की ओर से अब तक एक भी कंप्यूटर उपलब्ध नहीं कराया गया है. पुस्तकालय के प्रभार में युवराज नारायण झा हैं. वे बताते हैं कि पूर्व में 1454 किताबें थी. बाद में कोर्स की 170 किताबें खरीद की गयी. विधान पार्षद असलम आजाद उर्दू की 162 किताबें उपलब्ध कराये थे. करीब 2500 किताबें होगी. कोर्स की किताबें मात्र चार-चार सेट है. कुछ किताबें वैसी है जो अब सिलेबस में नहीं है. बच्चों को किताबें नि:शुल्क दिया जाता है. इधर, एक कमरे में खेल का सामान सड़ रहा है. समुचित रख-रखाव के अभाव में हजारों की खेल सामग्री बरबाद हो रही है.
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कहीं कंप्यूटर है तो कहीं ऑपरेटर नहीं
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