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साहत्यिकारों ने दी रवींद्र कालिया को श्रद्धांजलि

साहित्यकारों ने दी रवींद्र कालिया को श्रद्धांजलि हिंदी के प्रसिद्ध लेखक के निधन से साहित्यकार मर्माहतडॉ प्रजापति ने कहा, विचारों से साहित्य को किया आंदोलितसीतामढ़ी. हिंदी के प्रख्यात लेखक व साहित्यकार रवींद्र कालिया के निधन पर जिले के साहित्यकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है. अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ(प्रलेस) की स्थानीय शाखा के पूर्व […]

साहित्यकारों ने दी रवींद्र कालिया को श्रद्धांजलि हिंदी के प्रसिद्ध लेखक के निधन से साहित्यकार मर्माहतडॉ प्रजापति ने कहा, विचारों से साहित्य को किया आंदोलितसीतामढ़ी. हिंदी के प्रख्यात लेखक व साहित्यकार रवींद्र कालिया के निधन पर जिले के साहित्यकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है. अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ(प्रलेस) की स्थानीय शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ दशरथ प्रजापति की अध्यक्षता में मंगलवार को नगर के स्वामी विवेकानंद नगर स्थित एक नयी सुबह पत्रिका के कार्यालय में शोकसभा हुई. उपस्थित साहित्यकारों एवं लेखकों ने स्व कालिया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया. दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया. डॉ प्रजापति ने कहा कि 11 नवंबर 1939 को जन्में रवींद्र कालिया स्वतंत्र लेखन के द्वारा कहानी, उपन्यास, व्यंग्य एवं संस्मरण जैसी गद्य विधाओं पर एक स्पष्ट व पारदर्शी रुप में अपने विचारों से साहित्य जगत को आंदोलित करते रहे. एक निर्भीक संपादक के रुप में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में जान फूंकी ही, साथ ही ‘नया ज्ञानोदय’ को एक नयी दिशा और ऊंचाई दी. एक नयी सुबह पत्रिका के संरक्षक भगवती चरण भारती ने कहा कि ज्ञानपीठ के निदेशक पद की गरिमामयी शोभा वृद्धि करते हुए ये हाल हीं में सेवानिवृत्त भी हुए थे. धर्मयुग पत्रिका में स्व कालिया के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कई सम्मान प्राप्त किया था. शोकसभा में डॉ केएन गुप्ता, संत रस्तोगी, रामबाबू नीरव, डॉ प्रमोद प्रियदर्शी, डॉ विनोद कुमार सिन्हा, सुधीर कुमार, डॉ कल्याणी शाही, मोहन गुप्ता, अरुण माया, मैथिली बल्लभ शरण परिमल समेत अन्य लोग शामिल थे.

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