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अभियंता से बन गये क्लर्क
बेलसंड : हरियाली योजना के तहत अशोक कुमार को प्रखंड में कनीय अभियंता बनाया गया था. साथ ही नगर पंचायत के कनीय अभियंता की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. यह बात वर्ष 2005-06 की है. हरियाली योजना में श्री कुमार ने गड़बड़ी की थी. तत्कालीन डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीडीसी ने नगर पंचायत के कार्यपालक […]
बेलसंड : हरियाली योजना के तहत अशोक कुमार को प्रखंड में कनीय अभियंता बनाया गया था. साथ ही नगर पंचायत के कनीय अभियंता की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. यह बात वर्ष 2005-06 की है. हरियाली योजना में श्री कुमार ने गड़बड़ी की थी. तत्कालीन डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीडीसी ने नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को कनीय अभियंता श्री कुमार को सेवा मुक्त करने का आदेश दिया था. डीडीसी ने 22 अगस्त 06 को उक्त आदेश दिया था.
नगर पंचायत कार्यालय में यह पत्र दबा दिया गया. यानी श्री कुमार सेवा मुक्त नहीं किये जा सके. वे नगर पंचायत में लिपिक सह सफाई जमादार बन गये. वे कहते हैं कि उन्हें सेवा मुक्त करने का आज तक पत्र जारी नहीं किया गया है. उन्होंने खुद कनीय अभियंता की नौकरी छोड़ दी.
क्या है मामला
बताया गया है कि तत्कालीन डीडीसी ने कार्यपालक पदाधिकारी को यह निर्देश दिया था कि कनीय अभियंता श्री कुमार के जिम्मे जो भी सरकारी राशि है, उसकी वसूली कर ली जाये. सख्त निर्देश होने के बावजूद पत्र के आलोक में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. एक साजिश के तहत तत्कालीन डीडीसी के पत्र को गायब कर दिया गया. यह कहना है नगर पंचायत के पूर्व सभापति नागेंद्र झा का.
पूर्व एसडीओ का आदेश बेअसर
नगर पंचायत के पूर्व सभापति नागेंद्र झा ने इस पूरे मामले से तत्कालीन एसडीओ युनूस अंसारी को अवगत कराया था. आवेदन के साथ डीडीसी का उक्त पत्र भी संलग्न किया था. एसडीओ ने 24 सितंबर 13 को कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र भेज कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. यह कार्रवाई अब तक नदारद है.
तथ्यों को छुपाया
श्री झा की माने तो श्री कुमार द्वारा नगर पंचायत के तत्कालीन सामान्य बोर्ड व कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा लिया गया और सफाई जमादार सह लिपिक की नौकरी ले ली गयी. श्री कुमार पर मृतकों के नाम पर पेंशन की निकासी कर हजम कर जाने का भी आरोप है. जानकारों की माने तो इस काम में कार्यालय के कुछ कर्मियों ने श्री कुमार की मदद की थी. यही कारण है कि गंभीर आरोप व तत्कालीन डीडीसी के आदेश के बावजूद सेवा से मुक्त नहीं हुए और लिपिक भी बन गये. बहरहाल, पूरी जांच के बाद मामला स्पष्ट हो पायेगा.
वर्तमान एसडीओ से शिकायत
पूर्व सभापति श्री झा ने वर्तमान एसडीओ सुधीर कुमार से लिखित तौर पर शिकायत की है. एसडीओ ने 13 जुलाई 15 को कार्यपालक पदाधिकारी को भेजे पत्र में ऐसे कर्मी से कार्य लेने की बाबत स्पष्टीकरण पूछा है. एसडीओ के गंभीर होने के बाद श्री कुमार पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.
आरोपित कर्मी का है कहना
आरोपित कर्मी अशोक कुमार ने बताया कि तत्कालीन डीडीसी द्वारा बिना सोचे-समङो उक्त आदेश जारी कर दिया गया था. इसी कारण बोर्ड द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उन्हें सेवा मुक्त करने का आज तक कोई पत्र निर्गत नहीं किया गया है. उनकी बहाली पर बोर्ड की मुहर के बाद अब सरकार ने स्वीकृति दे दी है.
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