मकान झुक कर हो जाता था खड़ाफोटो नंबर- 25 पत्नी के साथ रामलाल सोनबरसा : प्रखंड के रमनगरा गांव का रामलाल साह काठमांडू के सूखेधारा के वार्ड नंबर दो में रहता था. वहां राज मिस्त्री का काम करता था. घर लौटने पर भूकंप के दौरान की स्थिति बयां करते हुए वह कांप जा रहा था. वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था. इससे लग रहा था कि भूकंप के मंजर को खौफ रामलाल के दिल में अब भी बरकरार है. रामलाल ने बताया कि भूकंप आने के दौरान वह तीन मंजिला मकान पर काम कर रहा था. भूकंप का झटका महसूस हुआ. नीचे की ओर भागे. पाया कि पूरा मकान हिल रहा है. नीचे आने पर एक भी व्यक्ति नजर नहीं आये. तब वह और डर गया. तीन मिनट तक कंपन होते रहा. उसने देखा कि कैसे उक्त मकान झुक रहा था और फिर सीधा हो जा रहा था. ऐसा सीन उसने छह-सात बार देखा. यह भी देखा कि रोड पर दर्जनों बाइक गिरा हुआ है और उसमें लोग दबे हुए हैं. दो दिन तक बिस्कुट खा कर समय बिताये. घर आने के लिए गोशाला बस स्टैंड आये. टिकट काउंटर बंद था. वहां से पैदल कलंकी पहुंचे और वहां से गाड़ी भाड़ा कर नवलपुर होते हुए घर पहुंचे हैं.
मकान झुक कर हो जाता था खड़ा
मकान झुक कर हो जाता था खड़ाफोटो नंबर- 25 पत्नी के साथ रामलाल सोनबरसा : प्रखंड के रमनगरा गांव का रामलाल साह काठमांडू के सूखेधारा के वार्ड नंबर दो में रहता था. वहां राज मिस्त्री का काम करता था. घर लौटने पर भूकंप के दौरान की स्थिति बयां करते हुए वह कांप जा रहा था. […]
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