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डीएम से प्रशिक्षण ले रहे 11 जिलों‍ के पदाधिकारी

डुमरा :पूरे सूबे में जिले के बेलसंड को पहला ओडीएफ जिला घोषित किया गया था. यह सफलता मिलने के बाद उत्साहित डीएम राजीव रौशन के नेतृत्व व मार्गदर्शन में जिले के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने पहला ओडीएफ जिला में सीतामढ़ी का नाम शामिल करने को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं. जिसका परिणाम भी […]

डुमरा :पूरे सूबे में जिले के बेलसंड को पहला ओडीएफ जिला घोषित किया गया था. यह सफलता मिलने के बाद उत्साहित डीएम राजीव रौशन के नेतृत्व व मार्गदर्शन में जिले के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने पहला ओडीएफ जिला में सीतामढ़ी का नाम शामिल करने को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं. जिसका परिणाम भी सामने आ रहा हैं. ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में गंदगी वाली सड़के अब चकाचक दिख रही हैं.
ओडीएफ को लेकर सीतामढ़ी में चल रहे प्रयास की गूंज अब दूसरे जिला में भी गूंजने लगी हैं. जिसका स्पष्ट परिणाम है कि सूबे के 11 जिला के अधिकारी ओडीएफ का पाठ पढ़ने के लिए जिले में आकर डीएम राजीव रौशन से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.
जन-जागरूकता से बदल रही लोगों की मानसिकता : डीएम
जिला जल एवं स्वच्छता समिति व यूनिसेफ के तत्वावधान में जिला मुख्यालय स्थित जानकी बिहार होटल में तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान डीएम राजीव रौशन ने बताया कि वर्षों से लोग खुले में शौच करने का व्यवहार अपनाते आ रहे थे. ऐसे में जन-जागरूकता से उनके मन:दशा में सकारात्मक बदलाव लाकर पंचायतों को ओडीएफ किया जा सकता है. तरह-तरह के चुनौतियों से भरे इस अभियान का दूसरा पहलू यह है कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के साथ-साथ शौचालय के समुचित उपयोग कराना.इसके लिए ग्राम पंचायत व वार्ड स्तर तक एक नीति का निर्धारण किया जा रहा है.
प्रशिक्षक अजय सिन्हा ने अधिकारियों को ओडीएफ का अर्थ व इसके कार्यान्वयन में उत्पन्न समस्याओं के निष्पादन पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि घर-घर शौचालय निर्माण कराने से इसके उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकते है, बल्कि उसके नियमित उपयोग से इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता हैं.
लोगों के व्यवहार व मानसिकता में परिर्वतन लाकर हम सफल होंगे. इसी उद्देश्य के तहत संवाद समुदाय के साथ बीडीओ को इस कार्य का चैंपियन बनाया जा रहा है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि कई संपन्न लोग ऐसे है, जिनके पास आलीशान मकान है.
शौचालय के अलावा स्वीमींग पुल भी है, लेकिन शौच के लिए खेत की ओर जाते हैं. ऐसे लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता हैं. मानसिकता में बदलाव की जरूरत हैं.

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