शेखपुरा: वर्ष 2012 के एक पकड़ौआ विवाह में पहले तो कोर्ट में तलाक हुआ. नाबालिग जोड़ी के आधार पर हुए 2016 में हुए तलाक के दो सालों तक पति-पत्नी में फोन पर बातचीत जारी रही. फोन पर हुए बातचीत के दौरान दोनों बालिग हो गये. इसी दौरान शनिवार की देर शाम विवाहिता अपने ससुराल के चौखट तक पहुंची और धरने पर बैठ गयी. हालांकि, इस दौरान उसका पति घर से बाहर था, जो अभी तक लौट नहीं सका.
इसके पूर्व शुक्रवार को ही विवाहिता अपने नंदोसी के साथ ससुराल पहुंची थी. लेकिन, उस वक्त कोर्ट से तलाक की बात कह पुलिस के सहयोग से वापस लौटा दिया गया.हालांकि, शनिवार की रात्रि जब विवाहिता ससुराल में बहू का दर्जा हासिल करने पहुंची, तब वहां उसे विरोध का सामना करना पड़ा. दरअसल, नवादा जिले के काशीचक थानांतर्गत लीला बिगहा गांव निवासी रवींद्र यादव की पुत्री का विवाह शेखपुरा के अरियरी थानांतर्गत देवपुरी गांव निवासी रामाशीष यादव के पुत्र अनुज कुमार से हुआ था. इस दौरान अनुज के पिता ने नाबालिग अवस्था में विवाह के लिए पुत्र के अपहरण का मामला दर्ज कराया था.
वर्ष 2012 में हुई घटना के बाद इस मामले में तलाक के लिए अनुज के पक्ष में आया. लेकिन, 2016 में हुए तलाक के फैसले के दो साल बाद मामले में अचानक दिलचस्प मोड़ आ गया. शनिवार को बहू का दर्जा पाने की जिद पर अड़ी विवाहिता को लेकर गांव में बवाल खड़ा हो गया. मामले में सुरक्षा दृष्टिकोण से एसपी के निर्देश पर विवाहिता को उसके ससुराल में शर्त के साथ रखा गया. शर्त के मुताबिक महिला और मामले को महिला हेल्पलाइन में ले जाने की बात अरियरी पुलिस के द्वारा कहीं गयी.
तलाक के बाद फोन पर जुड़े रहे रिश्ते
शेखपुरा में सुमंगली और अनुज की प्रेम कहानी भी कुछ ऐसा ही है. पकड़ौआ विवाह का विवाद, तलाक और फिर टेलिफोनिक प्रेम से घर बसाने कि नयी चाह ने विवाहिता को विरोध के बीच ससुराल के दरवाजे पर बहू का दर्जा पाने के लिए धरना देने को मजबूर कर दिया. दरअसल,तलाक के बाद पारिवारिक विवाद के बीच दोनों दंपती अलग-अलगजिंदगी गुजार रहे थे. इसी बीच दोनों के बीच टेलिफोनिक बात ने जीवन में नयी उम्मीदें जगा दी. इस दौरान की पकड़ौआ शादी के बाद नाबालिग नहीं होने के कारण कानूनी मजबूरी तो जरूर थी. लेकिन, आज यह रिश्ता एक बार फिर अटूट बन गया है.
विवाहिता ने बताया कि पति टेलीफोन से बात करने के दौरान दोनों के रिश्तों के लिए काफी उत्साहित रहा करते थे. अपनी खुशी का इजहार अपने दोस्तों के साथ ही किया करते थे. उसी कारणवश दोनों के बीच नये सिरे से कायम हुए रिश्ते ने उसे ससुराल की चौखट पर खींच कर लाने को मजबूर कर दिया.
तलाक की कानूनी अड़चनें
दरअसल, वर्ष 2012 में दोनों के बीच पकड़ौआ विवाह का रिश्ता बना था. उस वक्त दूल्हा नाबालिग था इस दौरान परिवार वालों ने दुल्हन की उम्र अधिक होने की बात भी उठायी थी. दोनों परिवारों के बीच न्यायालय में चले मामले ने तलाक के नतीजे सामने लाये. वर पक्ष के अधिवक्ता शंभुशरण सिंह ने बताया कि न्यायालय में सुनवाई के बाद इस रिश्ते में तलाक के बाद विवाहिता को उसी घर में जबरन प्रवेश दिलवाना न्यायिक फैसले का उल्लंघन होगा. इस मामले में पीड़ित पक्ष न्यायालय का सहारा ले सकता है. अगर इस मामले में विवाहिता को अथवा ससुराल में बसाने का कदम उठाना चाहते हैं, जो उसके लिए न्यायालय का सहारा लेना चाहिए.