छपरा : पवित्र माह रमजान में रोजे रखने का जितना महत्व है उससे कम रोजा खोलने या खुलवाने का नहीं. कहा जाता है कि किसी का रोजा खुलवाने यानी इफ्तार कराने पर इफ्तार कराने वाले को भी उतना ही सवाब मिलता है. जितना कि रोजेदार को. जो भी कारण रहा हो. इफ्तार में शामिल होना,किसी को शामिल करना, इफ्तार पार्टी करना.
सामाजिक तौर पर एक खास अहमियत रखता है. आपसी प्रेम,भाईचारे और साझी विरासत को एक पांत में बैठ कर खाने से जितनी मजबूती मिलती है. किसी अन्य आयोजन से नहीं. रमजान को इस नजरिए से भी देखा जा सकता है. हिंदू भाई भी रोजेदार का खास तौर से सम्मान करते हैं. उनको डाटने, बोलने या उनसे मजाक तक करने से लोग परहेज करते हैं. इस प्रकार पूरे एक माह चलने वाला रमजान रोजेदार को तो परहेजगार, ईमानदार और नेक बनाता ही है समाज में भी प्रेम, सहिष्णुता, भाईचारा और मुहब्बत का पैगाम आम कर जाता है.