छपरा (सदर) : मनरेगा की राष्ट्रीय तथा स्टेट लेबल के दो अलग-अलग राज्य गुणवत्ता अनुश्रवक दल के पदाधिकारियों ने मनरेगा के तहत जिले में पूर्ण या चल रही योजनाओं की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है. राष्ट्रीय स्तर की दो सदस्यीय टीम के अरविंद डे व अजीत तिर्की ने विभिन्न प्रखंडों में जाकर जहां […]
छपरा (सदर) : मनरेगा की राष्ट्रीय तथा स्टेट लेबल के दो अलग-अलग राज्य गुणवत्ता अनुश्रवक दल के पदाधिकारियों ने मनरेगा के तहत जिले में पूर्ण या चल रही योजनाओं की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है. राष्ट्रीय स्तर की दो सदस्यीय टीम के अरविंद डे व अजीत तिर्की ने विभिन्न प्रखंडों में जाकर जहां तीन फरवरी से ही गुणवत्ता का जायजा लिया.
वहीं सात फरवरी को दोनों पदाधिकारी लौट गये. वहीं छह फरवरी को राज्यस्तरीय गुणवत्ता अनुश्रवक दल के दया शंकर बहादुर तथा राधिका रमण सिंह ने भी जांच शुरू कर दी है. ये टीमें विभिन्न प्रखंडों में जाकर मनरेगा के तहत पौधारोपण, जल संरक्षण एवं जल एकत्रीकरण के तहत नये तालाब, पोखरा, गड्ढों, छोटे चेक डैंम के निर्माण के अलावा लघु सिंचाई कार्य, ग्रामीण संपर्क सड़क का निर्माण, तालाबों, पुलिया आदि की गाद निकाले जाने के कार्यों का स्थल निरीक्षण कर रही हैं. मंगलवार को इस टीम ने अमनौर में जांच की. वहीं बुधवार को मशरक-मढ़ौरा में भी कार्य की गुणवत्ता की जांच करेगी.
मनरेगा में दिये जाते हैं 177 रुपये व बाजार में दैनिक मजदूरी "200 से 300 तक
सारण जिला मानव दिवस सृजन के मामले में पूरे बिहार में है अव्वल
क्या कहते हैं अधिकारी
सारण जिले में मनरेगा के तहत बेहतर काम को लेकर ही राष्ट्रीय स्टेट लेबल की टीम ने अलग-अलग जांच का काम शुरू किया है. टीम विभिन्न प्रखंडों में योजनाओं का स्थल निरीक्षण भी कर रही है. हालांकि मनरेगा के तहत बाजार के अनुपात में मजदूरी कम निर्धारित होने के कारण ही जॉब कार्डधारी मनरेगा का काम करने से व्यस्त सीजन में कतराते हैं. कहीं काम नहीं मिलने के बाद विकल्प में ही मनरेगा का काम करते हैं. इससे निश्चित तौर पर मानव दिवस सृजन का कार्य और ज्यादा नहीं हो रहा है. मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ी, तो निश्चित तौर पर मजदूरों का झुकाव बढ़ेगा.
सुनील कुमार, डीडीसी सह अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक, सारण